कभी मत भूलना, कभी माफ़ मत करना!
आज वही तारीख़ है जब तीन साल पहले गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में दो दिनों में 66 बच्चों ने ऑक्सीजन न मिलने के कारण दम तोड़ दिया था। वही महीना है जब उत्तर प्रदेश सरकार के एक बेशर्म मंत्री ने कहा था कि “अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं!”
यह उसी बर्बर हत्याकांड की तारीख़ है जिसके असल मुजरिम जेल के बजाय सत्ता में बैठकर आज भी न जाने कितनों को मौत के मुँह में भेज रहे हैं और दिनो-रात बच्चों को बचाने में जुटा रहा एक डॉक्टर अदालत से निर्दोष साबित होने के बाद भी किसी न किसी बहाने सलाख़ों के पीछे है।
उस मनहूस दिन लिखी Katyayani Lko की पोस्ट-
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर के मेडिकल कालेज में आज 30 बच्चों की आक्सीजन न मिलने के कारण मौत हो गयी। कारण बताया जाता है कि बार-बार तगादे के बावजूद मेडिकल कालेज आक्सीजन आपूर्ति करने वाली कम्पनी का 68 लाख 65 हजार रुपये का भुगतान नहीं कर रहा था, इसलिए कम्पनी ने कुछ देर के लिए आक्सीजन आपूर्ति रोक दी थी। यह ठण्डी क्रूर हत्या है! बच्चों की हत्या!!
क्या इन जघन्य हत्याओं के इन दोषियों को कठोरतम दण्ड नहीं मिलना चाहिए ? क्या हत्यारों के इस गिरोह में कम्पनी के मालिकों के साथ ही मेडिकल कालेज प्रशासन और प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्रालय और समूची योगी सरकार को शामिल नहीं माना जाना चाहिए?
क्या योगी सरकार को इस घटना के बाद तुरत इस्तीफा नहीं दे देना चाहिए। यदि यही घटना यूरोप के किसी देश में घटती तो वहॉं की सरकार अबतक गिर चुकी होती। यह बात कितने लोगों को पता है कि वैसे भी इन दिनों गोरखपुर के बी.आर.डी मेडिकल कालेज में रोज़ाना 10 से 12 बच्चे इंसेफेलाइटिस से मर रहे हैं।
मीडिया में इस विभीषिका की कहीं कोई चर्चा नहीं है। ज्ञातव्य है कि योगी महाराज ने अभी दो दिन पहले ही मेडिकल कालेज का दौरा किया था। और आज यह भयानक घटना।
हम एक भयंकर अँधेरे समय में जी रहे हैं। विपत्तियों की आँधी बस्तियों को तबाह कर रही है और मौत बारिश की तरह बच्चों पर बरस रही है।
(ये लेख सत्यम वर्मा के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)