विक्रम सिंह चौहान

जब भारत के 16 -17 साल के बच्चे टिकटाक वीडियो बनाने में व्यस्त है तो स्वीडन की 16 साल की लड़की ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया ह

जब भारत के 16 -17 साल के बच्चे टिकटाक वीडियो बनाने में व्यस्त है। 1 करोड़ आबादी वाले देश स्वीडन की 16 साल की एक बच्ची ग्रेटा थनबर्ग विश्व में पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी अपने कंधो पर उठा ली है।

वे पर्यावरण के लिए संघर्ष की एक प्रतीक बन गईं है।

संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट समिट में स्वीडन की इस क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोमवार को ऐसी इमोशनल स्पीच दी, कि वहां मौजूद दुनियाभर के तमाम नेता सकते में आ गए,और उनके सिर नीचे की ओर झुक गए। गुस्से और दुख से भरे अपने भाषण में ग्रेटा ने वैश्विक नेताओं पर आलस और निष्क्रियता की वजह से कार्बन उत्सर्जन को लेकर अपनी पीढ़ी के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया।

उन्होंने नेताओं से कहा, ‘‘आपने अपनी खोखली बातों से मेरे सपने और बचपन छीन लिए। लोग त्रस्त हैं, लोग मर रहे हैं, पूरी पारिस्थितिकी ध्वस्त हो रही है।’’

आंखों में आंसू लिए ग्रेटा थनबर्ग ने UN में वर्ल्ड लीडर्स से पूछा- ‘आपने हिम्मत कैसे की?’ग्रेटा ने कहा कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी “स्वीकार्य करने लायक नहीं है” क्योंकि भविष्य की पीढ़ियों को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे।

यह बच्ची स्वीडन की स्कूल में पढ़ती थीं । समुद्र किनारे मरी हुई मछलियां, चिड़ियों, तितलियों के अचानक गायब होने, आसमान और उनके स्कूल के पास उड़ते काले धुंए ने बच्ची के बाल मन को झकझोरा।

उन्होंने स्कूल से ही विरोध करना शुरू कर दिया था। बाद में अपने दोस्तों के साथ हर फ्राइडे संसद के सामने धरना शुरू कर दिया। उनकी आवाज़ फैलने लगी तो जर्मनी में वे कोयला कंपनियों के विरोध में एक बड़ा चेहरा बनीं। धीरे- धीरे उनकी आवाज़ विश्व के 100 शहरों में पहुंच गई। उनकी मुहिम को लाखों लोगों का साथ मिला।

ग्रेटा अमेरिका को पर्यावरण पर कड़ा संदेश देने दो हफ़्तों तक छोटी नाव में अटलांटिक सागर को पार कर अपने दोस्तों के साथ न्यू यॉर्क पहुंची हैं। मार्च में उन्हें 2019 नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। यह पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी इस बच्ची के कर्जदार रहेंगे।

  • ( ये लेख विक्रम सिंह चौहान की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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