बेरोजगारी, किसानों की बेहाली, कारपोरेट की मनमानी और आम आदमी की परेशानी के सामने उनके तमाम हवाई मुद्दे काम नहीं आ रहे हैं! ‘हिंदुस्तान-पाकिस्तान’, ‘हिन्दू-मुसलमान’ और ‘फर्जी राष्ट्रवाद’ जैसे जुमलों से कुछेक हलकों में कम समझ या चेतना के स्तर पर पिछड़े लोगों को भरमाया जा सकता है पर पूरे देश और समूची आबादी को नहीं!
‘मीडिया-मोहिनी’ के एकतरफा प्रोपगेंडा के बावजूद लोग इनकी जुमलेबाजी को खारिज कर रहे हैं! इनकी इसी हताशा का परिणाम है: विपक्ष के एक प्रमुख नेता राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने की इनकी शर्मनाक करतूत! राहुल गांधी की नीतिगत आलोचना या उनके द्वारा उठाए किसी मुद्दे की जमकर आलोचना करते तो बात समझ में आती !
रैलियों में सत्ताधारी नेताओं ने पिछले दिनों राहुल का खूब मजाक बनाया! इस पर उनके बहुतेरे समर्थकों ने तालियां भी बजाईं! पर अब वे राहुल पर राजनीतिक हमले करने के बजाय उन पर निजी और बहुत ओछे किस्म के हमले करते नजर आ रहे हैं!
राहुल को उनकी स्वाभाविक भारतीय नागरिकता से ही वंचित करने के अपने घृणित मंसूबे का खुलासा कर रहे हैं! नागरिकता का सवाल संघ परिवार का एक अति-विचारित एजेंडा रहा हैै! वे देश से अल्पसंख्यक समाज की कुछ खास आबादी को बाहर करने का मंसूबा पाले हुए हैं!
इसकी खुलेआम घोषणा भी करते हैं। पर यह तो उनकी प्रचंड मूर्खता, निरंकुशता और ओछेपन का उदाहरण है कि अब वे देश के एक प्रमुख विपक्षी नेता की भारतीय नागरिकता पर ही सवाल उठाने का दुस्साहस कर रहे हैं! सुप्रीम कोर्ट एक बार इस तरह की एक निहायत फालतू याचिका को खारिज कर चुका है!
फिर भी चुनाव के मध्य केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी को नोटिस भेजा है! नागरिकता पर सफाई मांगी है! जर्मनी और इटली के फासिस्ट एक दौर में अपने विपक्षियों के खिलाफ इस तरह के भी कदम उठाया करते थे!