पीएम मोदी जिस तरीके से अपनी रैलियों से बयान देते हैं। शायद ही आजतक देश के किसी प्रधानमंत्री ने मंच से ऐसा कहा होगा। मोदी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सेरामपोर में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि,
“दीदी आपकी जमीन खिसक चुकी है और देख लेना 23 मई को जब नतीजे आएंगे तो आपके विधायक भी आपको छोड़कर भाग जाएंगे। आज भी आपके 40 विधायक मेरे संपर्क में हैं।“
भाजपा नेता मोदी ने ममता बनर्जी के लिए कहा, ये पत्थर आपके गुंडे निर्दोष लोगों को मारने में इस्तेमाल करते हैं। मैं वो सभी पत्थर खाने को तैयार हूं जो निर्दोष लोगों के सिर फोड़ने में इस्तेमाल होते हैं।
मोदी की इस तरीके की भाषा और पीएम पद की गरिमा को लेकर अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं कि, मोदी प्रधानमंत्री पद के गरिमा का ख्याल नहीं रखते। सपा नेता सुनील सिंह यादव ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए ट्वीट किया है।
उन्होंने लिखा है कि, “पीएम अपने पद की गरिमा को और कितना नीचे ले जाएंगे? जिस के ऊपर संविधान और लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी है वह विधायाक खरीदने का दावा कर रहा है। इससे साफ़ हो गया है कि मोदीजी, आप अपनी चुनावी कुर्सी के लिए कैसे देश को बेच रहे हैं।
#पीएम अपने पद की गरिमा को और कितना नीचे ले जाएंगे? जिसके ऊपर संविधान और लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी है वह विधायक खरीदने का दावा कर रहा है। इससे साफ हो गया कि #मोदीजी आप अपनी कुर्सी के लिये कैसे देश को बेच रहे हैं। @yadavakhilesh
— Sunil Singh Yadav (@sunilyadv_unnao) April 30, 2019
दरअसल, नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं। उन्होनें तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, “23 मई को जब नतीजे आएंगे तो तुम्हारे विधायक तुम्हे छोड़कर भाग जाएंगे, आज भी तुम्हारे 40 विधायक मेरे संपर्क में है दीदी।”
लोगों ने सवाल उठाया कि क्या नरेंद्र मोदी ममता बनर्जी को पहले से ही चेतावनी दे रहे हैं? क्या उनका कहना है कि वो TMC के 40 विधायकों को 23 मई के बाद खरीद लेंगे?
नरेंद्र मोदी के इस बयान पर ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए कहा, “हमारी पार्टी पोल पैनल से प्रधान मंत्री मोदी की रैलियों में हुए खर्चे का हिसाब मांगेगी। अगर चुनाव आयोग दूसरों से उनके खर्चे का ब्यौरा ले सकता है, तो उनसे क्यों नहीं?”
इससे पहले भी नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में आपत्तिजनक बयान दिए हैं। चुनाव आयोग के मना करने के बाद भी उन्होनें सेना के नाम पर वोट मांगे हैं।