लोकसभा चुनावों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है। गृह मंत्रालय ने राहुल को नोटिस जारी किया है और उन्हें 15 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा है।

राहुल गांधी को यह नोटिस बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी पर भेजी गई है। स्वामी का दावा है कि राहुल गांधी ब्रिटेन में 2003 में पंजीकृत कंपनी बैकऑप्स लिमिटेड के डायरेक्टर्स में शामिल थे। उन्होंने कहा है कि ब्रिटिश कंपनी के 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को भरे गए वार्षीक टैक्स रिटर्न में गांधी की जन्म तिथि 19 जून, 1970 बताई गई है। उसमें गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया है।

बता दें कि इससे पहले भी राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठ चुके हैं। लेकिन दिसम्बर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी एक जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया था जिसमें उनकी नागरिकता के मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के साथ संलग्न दस्तावेज़ों की सत्यता और इन्हें हासिल करने के तरीक़े पर सवाल उठाए थे।

इसके अलावा भारतीय निर्वाचन आयोग ने भी राहुल गांधी के दस्तावेज़ों में कोई कमी नहीं पाई। इसीलिए चुनाव आयोग ने उनके नामांकल पर रोक नहीं लगाई। कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी के खिलाफ गृह मंत्रालय की यह कार्रवाई दुर्भावना से परिपूर्ण है। कांग्रेस का कहना है कि चुनावों के बीच इस कार्रवाई का मक़सद जनता को असल मुद्दों से भटकाना है।

गृह मंत्रालय की इस कार्रवाई पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी सवाल उठाए हैं। राजदीप ने ट्विटर के ज़रिए कहा, ‘जब मैंने सोचा कि बीजेपी आसानी से 2019 जीत रही है, तो गृह मंत्रालय का राहुल गांधी की नागरिकता पर नोटिस आ जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2015 में इसे खारिज कर दिया, चुनाव आयोग ने उनके दस्तावेज़ों को वैध माना’।

उन्होंने सवाल करते हुए कहा, ‘पहले से निपटाए जा चुके मुद्दों को उठाने के बजाय अर्थव्यवस्था और उसल मुद्दों पर बात क्यों नहीं करते? ज़्यादा सुर्खियां बटोरने का तरीका’?

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