कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज सुबह कॉन्सटीट्यूशन क्लब में कई विपक्षी दलों के सांसदों की बैठक बुलाई और साथ साथ नाश्ता किया. इस बैठक में देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति और हालिया पेगासस जासूसी प्रकरण पर चर्चा की गई.
राहुल गांधी की इस बैठक में 15 दलों के सांसद मौजूद थें, हालांकि आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस बैठक से खुद को दूर रखा.
राहुल गांधी की ओर से बुलाए गए इस बैठक में राहुल गांधी ने लोकसभा एवं राज्यसभा के विपक्षी सांसदों के बीच बोलते हुए कहा कि हम सबको एकजुट होना होगा.
हमें इस आवाज को एकजुट करना है. ये आवाज जितनी ही एकजुट होगी, उतनी ही मजबूत होगी. इस एकजुट आवाज को दबाना भाजपा और आरएसएस दोनों के लिए ही मुश्किल साबित होगी.
जाहिर तौर पर राहुल गांधी इस बैठक के बहाने विपक्षी एकता को मजबूत करना चाहते हैं. किसान आंदोलन और पेगासस जासूसी कांड पर राहुल गांधी हर वो दांव आजमाना चाहते हैं जिससे सरकार को घेरने में आसानी हो.
मालूम हो कि संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है और यह सत्र काफी हंगामेदार तरीके से चल रहा है. इसी के मद्देनजर राहुल गांधी ने विपक्षी सांसदों की बैठक बुलाई जिसमें कई दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
इस बैठक में तीनों कृषि कानूनों, पेगासस जासूसी जैसे मुद्दों पर जहां चर्चा हुई तो वहीं सरकार को किस प्रकार से मजबूती से घेरा जाए और बैकफुट पर लाया जाए, इसके लिए संयुक्त रणनीति पर विमर्श हुआ.
तीनों कृषि बिलों पर जहां सरकार का रवैया बेहद सख्त है. वह इसे वापस लेने को तैयार नहीं है तो वहीं पेगासस मुद्दे पर भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का रुख साफ है. सरकार इस मुद्दे पर जांच कराने के मूड में नहीं है.
इस बैठक में कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, केरल कांग्र्रेस, झारखंड मुक्ति मोरचा, नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं लोकतांत्रिक जनता दल के नेता भी शामिल हुए.
जाहिर तौर ये मोरचा जहां विपक्षी एकता को मजबूती प्रदान करने वाला है तो वहीं यह भाजपा और केंद्र सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने जिस प्रकार से इस बैठक से दूरी बनाई है, उससे यह भी कयास लगाया जाने लगा है कि विपक्षी एकता अभी भी दूर की कौड़ी है क्योंकि केजरीवाल और मायावती कांग्रेस के नेतृत्व में भाजपा का विरोध नहीं करना चाहते हैं.