लॉकडाउन ग़रीबों के लिए कितना जानलेवा साबित हुआ है, इसकी एक और बानगी तेलंगाना में तब देखने को मिली जब लॉकडाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रही एक छात्रा ने मौत को गले लगाकार इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
मृतका की पहचान 19 वर्षीय ऐश्वर्या रेड्डी के रूप में हुई है। ऐश्वर्या दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमन से बीएससी मैथमेटिक्स कर रही थी।
मौके से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। जिसमें एश्वर्या ने मौत की वजह लॉकडाउन के चलते उत्पन्न हुई आर्थिक तंगी को बताया है।
सुसाइड नोट के मुताबिक ऐश्वर्या का परिवार उसकी शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकता था। नोट में उसने लिखा कि वह अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहती थी और बिना शिक्षा के जीवन नहीं चाहती थी।
बता दें कि एश्वर्या राज्य की 12 वीं कक्षा की टॉपर थी। छात्रा उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके इसके लिए उसके परिवारवालों ने घर को गिरवी रख दिया था।
छात्रा के पिता ने बताया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ती थी। उसका पीजी में रहने का खर्चा 12 हजार रुपये महीना था।
लॉकडाउन के बाद हम लोग आर्थिक रूप से कमज़ोर हो गए और उसकी मदद नहीं कर पाए। आशा है कि कोई भी छात्र इस स्थिति का सामना नहीं करे।
शादनगर ने इंस्पेक्टर ने बताया कि तीन नवंबर को श्रीनिवास रेड्डी ने अपनी बेटी की आत्महत्या की शिकायत दर्ज कराई। वो लोन लेकर उसे पढ़ा रहे थे। उनकी बेटी को लगने लगा कि वो उन पर बोझ है। सुसाइड नोट में लिखा है कि कोई भी उसकी मौत का ज़िम्मेदार नहीं है। उसने आर्थिक तंगी की वजह से ये कदम उठाया।
छात्रा द्वारा आर्थिक परेशानी में इस तरह का कदम उठाए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रा के लिए न्याय की मांग करते हुए इसे ‘संस्थागत हत्या’ करार दे रहे हैं।
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का कहना है कि ऐश्वर्या विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार से INSPIRE छात्रवृत्ति प्राप्त कर रही थीं। हालांकि, छात्रवृत्ति में मार्च महीने से ही देरी हो रही थी, जिसके कारण उसने इस तरह का कदम उठाया है।
उन्होंने बताया कि छात्रा ने पहले ही कहा था कि उसके पास इंटरनेट कनेक्शन नहीं है और न ही लैपटॉप है इसलिए वो ऑनलाइन क्लास नहीं ले सकती है। लैपटॉप और इंटरनेट न होने के कारण छात्रा के पास अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं थी, जिसके कारण वो काफी परेशान थी।