सीएम नीतीश कुमार पिछले 16 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन आज तक वह बिहार की बाढ़ का निदान नहीं कर सके.

हर साल बारिश के मौसम में त्राहिमाम जैसी स्थिति बन जाती है और लोग भूखे मरने लगते हैं. ऐसा ही एक वाकया हुआ बिहार के भागलपुर जिले में.

बाढ़ के कहर से कराह रहे भागलपुर के नौगछिया इलाके का सीएम नीतीश कुमार एरियल सर्वे कर रहे थे.

इसी क्रम में सीएम नीतीश एक बाढ़ राहत शिविर का जायजा लेने पहुंच गए. नीतीश कुमार के सामने ही एक बाढ़ पीड़ित महिला ने सारे इंतजामों की पोल खोल कर रख दी.

चांदनी देवी नामक इस महिला ने बताया कि वह इस्माइलपुर के छोटी परबत्ता, महाराज जी इलाके की रहने वाली है. उसके पति का नाम सियाराम मंडल है. सियाराम मंडल नेत्रहीन हैं.

उनकी आंखों में रोशनी नहीं है. बांध टूटने की वजह से उनका घर भी पूरी तरह से बाढ़ में डूब चुका है. पिछले तीन दिनों से वो भूख से छटपटा रहीं हैं. उनके घर पर चूल्हा तक नहीं जला है.

सीएम नीतीश कुमार के सामने अपनी व्यथा सुनाते हुए चांदनी कहती हैं कि मैं रोटी की आस में इस बाढ़ राहत शिविर में मंगलवार की सुबह आठ बजे से पहुंची हुई हूं लेकिन मेरी तकलीफ देखने सुनने वाला कोई नहीं है. मुझे अभी तक खाना नहीं मिला है.

चांदनी देवी ने सीएम को बताया कि मेरे घर के चारों तरफ बाढ़ का पानी भर गया है. घर में मेरे अलावा, मेरे अंधे पति, मानसिक रुप से कमजोर एक बेटा, बेटी और दामाद फंसे हुए हैं. उन्हें वहां से निकालने वाला कोई नहीं है.

बाढ़ पीड़ित महिला से यह सब सुनकर सीएम नीतीश कुमार हैरान हो गए. वहां मौजूद स्थानीय जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन को निर्देश दिया कि जल्द से जल्द इस महिला की फरियाद सुनी जाए और उसके घरवालों को जल्द रेस्क्यू किया जाए.

दरअसल बिहार में हर साल बाढ़ से हालत बेहद भयावह हो जाते हैं. इन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री हर साल हवाई सर्वे कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं लेकिन इससे कभी समस्या का समाधान नहीं होने वाला.

अगर हवाई सर्वे से ही बिहार की बाढ़ का स्थायी समाधान हो जाता तो यह कब का हो जाता. हवाई सर्वे सिर्फ धोखा है और इससे जनता का कोई भला होने वाला नहीं है.

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