राज्यसभा में अनुपूरक बजट (supplementary budget) पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश बेरोजगारी और महंगाई से त्रस्त है.

इस दौरान राघव चड्ढा ने कहा कि “इस सरकार ने बेरोजगारी दर को पिछले 45 सालों में सर्वाधिक कर दिया. साल 2014 में जब इनकी सरकार बनी थी, तब देश में बेरोजगारी दर 4.9 प्रतिशत थी. आज 8 साल बाद 2022 में 8 फीसदी तक बेरोजगारी दर पहुंच गई है.

ये तो संगठित क्षेत्र की बेरोजगारी है. असंगठित क्षेत्र की बेरोजगारी, एमएसएमई में कितनी कंपनियां बंद हुई, कितने बेरोजगार हुए. इसका तो हिसाब ही सरकार के पास नहीं है”.

राघव चड्ढा ने आगे कहा कि “कुछ ही समय पहले वित्तमंत्री ने लोकसभा में बताया कि कुल 22 करोड़ आवेदन पत्र भारत सरकार के पास नौकरी मांगने के लिए आए.

उन 22 करोड़ में से सिर्फ 7 लाख लोगों को नौकरी मिली. हमारी युवा ताकत पर हमें गर्व है. लेकिन हमारा युवा सड़कों पर लाठी खा रहा है. बेरोजगारी के तले दबता जा रहा है.

सरकार आज युवाओं की जवानी बर्बाद कर रही है. इस सरकार ने देश के युवाओं को घर पर बैठाने का काम किया है, इसका नारा बदलकर हो गया है- हर घर बेरोजगार, यही है भाजपा सरकार”

एनडीए सरकार के पिछले आठ सालों में भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को लेकर काफी चर्चा हुई है. महामारी से पहले ही, नोटबंदी, GST इम्प्लीमेंटेशन और बैड लोन की समस्या ने भारत के इकनॉमिक ग्रोथ को प्रभावित करना शुरू कर दिया था.

मोदी सरकार के सत्ता में आने से लेकर साल 2017 तक बेरोजगारी दर औसतन 5.4 प्रतिशत पर रही. इसके बाद, 2018 और 2019 में बेरोजगारी मामूली रूप से गिरकर 5.3 प्रतिशत हो गई. लेकिन कोरोना महामारी के पहले साल 2020 में बेरोजगारी बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई.

वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी दर 2021 में 6 प्रतिशत के स्तर पर थी. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारत की लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 2016 में 47 प्रतिशत से गिरकर 40 प्रतिशत हो गई.

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