भारत में लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में एक खास धर्म के लोगों को कोरोना फेलाने का जिम्मेदार ठहराया गया।
टीवी मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक सांप्रदायिक ज़हर उगला गया। विदेश से आए हुए मुसलमानों के खिलाफ़ केस दर्ज हुए, राजनेताओं ने उनपर जमकर राजनीति की।
बीमारी को धर्म से जोड़ने वाली नफ़रत का जवाब अब मुंबई की मजिस्ट्रेट अदालत ने दे दिया है। सोमवार को अंधेरी में मजिस्ट्रेट अदालत ने कोरोना को फैलाने के आरोपी 20 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया है।
अदालत का कहना है कि कथित आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई भी सबूत नहीं पाए गए है। सभी अभियुक्त 2 देशों,इंडोनेशिया और किरगिज़ रिपब्लिक, के नागरिक हैं।
इन 20 अभियुक्तों पर आरोप था कि इन्होंने लॉकडाउन आर्डर का उल्लंघन किया और भारत में कोरोना फैलाया। इस मामले में 2 पुलिसकर्मियों को प्रॉसिक्यूशन द्वारा गवाह बनाया गया था।
हालांकि, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आर. आर. खान का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने माना कि उन्होंने अभियुक्तों को अथॉरिटी द्वारा जारी किए किसी आर्डर के ख़िलाफ़ कदम उठाते नहीं देखा।
मजिस्ट्रेट ने कहा, “चार्जशीट के अनुसार (मामले में) केवल दो गवाह हैं। अभियुक्त के अपराध को साबित करने के लिए प्रॉसिक्यूशन पक्ष ने उसके दोनों गवाहों की जांच की।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इंस्पेक्टर दुर्गेश सालुंके और इंस्पेक्टर राजेंद्र राणे के साक्ष्य दर्ज किए गए।….दोनों ने माना है कि अभियुक्तों ने लॉकडाउन या कर्फ्यू का उल्लंघन नहीं किया।”
मुंबई के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भले ही 20 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया हो, लेकिन ये “बाइज़त बरी” नहीं था। इन लोगों के खिलाफ़ मीडिया में जमकर एजेंडा चला, इन्हें विलन बनाया गया, अब इसकी भरपाई कैसे होगी?
A Metropolitan Magistrate court in Andheri on Monday acquitted a total of 20 foreign nationals accused of spreading Coronavirus and violating orders of lockdown by two police officers who were prosecution witnesses in the case as well.
Read Order: https://t.co/bUKcrTCWgb pic.twitter.com/2gINbj2rnY— Live Law (@LiveLawIndia) October 20, 2020