महिला कांग्रेस अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने बिलकीस बानो केस में दोषियों की रिहाई को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि बिलकीस पहले देश की बेटी और पहले एक औरत हैं. और अगर एक औरत के बलात्कारियों को, उनके परिवार के हत्यारों को खुला छोड़ दिया जाएगा तो कहां से महिलाएं अपनी आवाज़ उठा पाएंगी.

नेटा ने कहा कि हमारे लिए बिलकीस बानो ना हिंदू हैं, ना मुसलमान हैं, ना सिख ना ईसाई, वो हमारे लिए एक महिला हैं.

मालूम हो कि बिलकीस बानो केस में गैंगरेप, हत्या के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने अपनी माफी योजना के तहत 15 अगस्त को रिहा कर दिया था.

बलात्कार और हत्या के दोषियों की रिहाई के बाद से लगातार गुजरात सरकार के इस फ़ैसले का विरोध हो रहा है. रिहाई को बाद हिंदूवादी संगठनो ने दोषियों का सम्मान भी किया था.

बिलकीस बानो केस के दोषियों की रिहाई पर सफ़ाई देते हुए राज्य सरकार ने कहा था कि उनकी रिहाई कानून के दायरे में रहकर की गई है.

इस फ़ैसले का चारों तरफ़ विरोध हो रहा है. विपक्षी दलों के साथ साथ सामाजिक संगठन, और आम नागरिक भी इस फ़ैसले से हैरान है. केंद्र सरकार ने भले इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया ना दी हो लेकिन बीजेपी में ही इस मामले को लेकर बयान सामने आ रहे हैं.

बीजेपी की नेता खुशबू सुंदर ने भी बिलकीस बानो केस में दोषियों की रिहाई पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी.

खुशबू सुंदर ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, एक महिला, जिसका रेप होता है. उसके साथ मारपीट और क्रूरता की जाती है और उसकी आत्मा को जीवन भर के लिए जख्मी कर दिया जाता है, उसे न्याय मिलना चाहिए. कोई भी शख्स जो इसमें शामिल रहा है, उसे मुक्त नहीं किया जाना चाहिए.

अगर वह ऐसा करते हैं तो यह मानवता और नारीत्व का अपमान है. बिलकिस बानो या किसी भी महिला को राजनीति और विचारधाराओं से परे समर्थन की जरूरत है.

खुशबू सुंदर से पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और वरिष्ठ भाजपा नेता व हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी बिलकिस बानो केस पर अपनी राय रखी थी. दोनों ने कहा था कि बलात्कार के दोषियों का इस तरह सत्कार करना ठीक नहीं है.

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