प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ का नया नारा दिया हो। मगर उनकी पार्टी के विधायक ऐसे नारों में विश्वास नहीं रखते है।

कर्नाटक से बीजेपी विधायक बसानगौड़ा पाटिल ने कारगिल दिवस के मौके पर कहा कि अगर वो देश के गृहमंत्री होते तो ‘बुद्धिजीवियों’ को गोली मरवा देते।

दरअसल बीजेपी विधायक बसानगौड़ा पाटिल बीते गुरुवार को कारगिल दिवस के एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे हुए थे। जहां उन्होंने कहा कि ये बुद्धिजीवी देश की सारी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं जिसके लिये हम टैक्स देते हैं। उसके बाद ये सब भारतीय सेना के खिलाफ नारेबाजी करते हैं। बीजेपी विधायक ने कहा कि देश को इस समय बुद्धिजीवियों और धर्मनिरपेक्षों से सबसे ज्यादा खतरा है।

अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे चुके पाटिल ने इससे पहले मुस्लिमों की मदद न करने की अपील की थी। पाटिल दो बार बीजेपी विधायक, बीजपुर से एक बार सांसद भी रह चुके है, ऐसे में उनके बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

क्योंकि वो एक ज़िम्मेदार पद है जहां उन्हें जनता की एक समान मदद करनी है। ऐसे में उनका ये कहना कि ‘उदारवादी’ और बुद्धजीवी ‘राष्ट्रद्रोही’ है। ये दर्शाता है कि वो इनके बारे में कैसी राय रखते है।

अब सवाल उठता है कि ऐसी मानसिकता वाले विधायक को क्या कहा जाये? जब शर्मनाक बयान देने वाले आज़म खान ‘माफिया आज़म’ कहे और लिखे जा सकते है तो क्या ऐसी मानसिकता को आतंकी मानसिकता ना कहा जाये तो और क्या कहा जाये? बीजेपी विधायक ऐसे बयानों से एक बात साफ़ होती है की वो ‘उदारवादियों’ और बुद्धजीवियों से सख्त नफरत करते है।

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