मानव विकास सूचकांक पर भारत एक पायदान और नीचे खिसक गया है. संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक 2021-22 में भारत 191 देशों की सूची में 132वें नंबर पर रहा है.

पिछले साल भारत 131वें स्थान पर था. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी, यूक्रेन रूस के युद्ध और जलवायु संकट ने 90 प्रतिशत देशों के मानव विकास सूचकांक पर असर डाला है.

भारत के मानव विकास सूचकांक के नीचे जाने के पीछे भी यही वजहें हैं. मानव सूचकांक 2021—22 में मानव सूचकांक गिरकर 0.633 हो गया है. दरअसल मानव विकास सूचकांक किसी देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय की स्थिति बताता है.

अंतरराष्ट्रीय संगठन ने स्वास्थ्य और शिक्षा में भारत के निवेश की तारीफ की है, जिससे इसे 1990 के बाद से वैश्विक मानव विकास औसत के करीब आने में मदद मिली. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक देश स्वच्छ पानी, स्वच्छता और सस्ती स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच में सुधार कर रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कोई भारत की इकलौता स्थिति नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर गिरावट के अनुरूप है, जो दर्शाता है कि 32 वर्षों में पहली बार दुनिया भर में मानव विकास ठहर सा गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट का है, जो 2019 के 72.8 साल से घटकर 2021 में 71.4 साल हो गई है।

मानव विकास सूचकांक में श्रीलंका को 73वां रैंक मिला है, जबकि चीन को 79वां, भूटान को 127वां, बांग्लादेश 129 नंबर है, जबकि नेपाल 143 और पाकिस्तान 161वें नंबर पर है.

स्विटजरलैंड मानव विकास सूचकांक की लिस्ट में पहले नंबर पर है. जबकि नार्वे दूसरे, आइसलैंड तीसरे, हॉंगकॉन्ग चौथे और ऑस्ट्रेलिया पांचवें नंबर रहा है.

वहीं मानव विकास रैंकिंग में आई गिरावट पर पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने तंज कसते हुए कहा, क्यों बदनाम कर रहे हो भारत को। होश में रहो, मीडिया वालों। हम विश्वगुरु हैं।सरकार का तनिक भी डर नहीं, अगली बार छापा तो छापा पड़ेगा।

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