भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हिंदुत्ववादी राजनीति का ख़ामियाज़ा अब शैक्षणिक संस्थानों को भी भुगतना पड़ रहा है। गुलेली गांव में गोवा सरकार ने आईआईटी कैंपस की ज़मीन के एक हिस्से में मंदिर बनाने की मंज़ूरी दे दी है।

बताया जा रहा है कि सरकार ने ऐसा गांव वालों के आक्रोश को शांत कराने के लिए किया है। गांव वाले आस्था की जगह पर आईआईटी कैंपस के निर्माण का विरोध कर रहे थे।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि हमने धार्मिक गतिविधियों के लिए 45,000 वर्ग मीटर की जमीन को चिन्हित कर लिया है।

इस जगह को अलग कर दिया गया है और इसके लिए अंतिम योजना तैयार की जाएगी। ये कदम गांव वालों की रुचि को देखकर और उन्हें शांत करने के लिए किया गया है। ये गांव वालों की रुचि है कि कुछ जगह पर मंदिर बन जाए।

वहीं गोवा के स्वास्थ्य मंत्री और सांसद विश्वाजित राणे ने कहा कि ये विवाद मंदिर के लिए आवंटित की गई जमीन के लिए हुआ क्योंकि उस जगह पर गांव वाले धार्मिक कार्यक्रम करते हैं। उन्होंने कहा कि ज़मीन से लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं और अब हम उम्मीद करते हैं कि सरकार द्वारा मंदिर के लिए जमीन अलग कर देने से विवाद थम जाएगा।

बता दें कि गोवा सरकार ने जुलाई में ही गांव में आईआईटी कैंपस बनाने के लिए ज़मीन आवंटन का एलान किया था। राज्य सरकार ने ये फैसला केंद्र सरकार के 2014 के उस ऐलान के आधार पर किया था, जिसमें गोवा में अगल से आईआईटी कैंपस बनाने की बात कही गई थी। सरकार के इस फैसले से कुछ स्थनीय लोग नाराज थे और इसका विरोध कर रहे थे।

गुलेली पहला गांव नहीं है, जहां जमीन के आवंटन को लेकर विवाद हुआ है। इससे पहले कनाकोना और संग्युम गांव में भी जमीन चिन्हित की गई थी, लेकिन गांव वालों के विरोध के बाद इसे निरस्त कर दिया गया था। फिलहाल गोवा के फार्मागुड़ी गांव में स्थित गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज में आईआईटी कैंपस चल रहा है।

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