दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का सबसे बुरा असर हरियाणा सरकार पर पड़ा है। बीते कई दिनों से हरियाणा में खट्टर सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
दरअसल हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जजपा के विधायकों द्वारा एनडीए से अलग होने का दबाव बनाया जा रहा है।
किसान आंदोलन की वजह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जजपा का कड़ा विरोध किया जा रहा है। जिसे देखते हुए हाल ही में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की है। लेकिन खट्टर सरकार के खिलाफ उठ रहे बगावती स्वर थमने का नाम नहीं ले रहे।
अब खट्टर सरकार को समर्थन दे रहे चार निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन वापस लेने की चेतावनी दे दी है। माना जा रहा है कि यह चारों निर्दलीय विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं।
इन निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात भी की है। जिसमें उन्होंने साफ कह दिया है कि अगर मोदी सरकार द्वारा यह कृषि कानून रद्द नहीं किए जाते हैं। तो वह हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेंगे।
इस कड़ी में हरियाणा की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शैलजा कुमारी ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा की सहयोगी जजपा और निर्दलीय विधायक उनके संपर्क में है।
राज्य में खट्टर सरकार लोगों में अपना भरोसा खो चुकी है। कांग्रेस राज्य मे वैक्यूम नहीं छोडेगी।
उन्होंने कहा है कि राज्य भर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का जबरदस्त विरोध हुआ है। हरियाणा को कृषि प्रधान राज्य माना जाता है। लेकिन हरियाणा सरकार के आदेश पर पुलिस ने किसानों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया है। उससे लोगों में काफी नाराजगी है।
माना जा रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गई है।