लंबे समय से चल रही उठापटक के बाद आखिरकार कर्नाटक में बीजेपी को सफलता मिल ही गई। तमाम जोड़-तोड़ की राजनीति करने के बाद आंकड़े इस तरह से बना दिए गए थे कि जेडीएस कांग्रेस गठबंधन अपना बहुमत साबित करने में नाकामयाब रहा।
लोकसभा चुनाव के ठीक बाद कर्नाटक में उथल-पुथल मच गई थी। विधायकों का द्वारा नाराजगी व्यक्त किया जाना, सदन से इस्तीफा दिए जाना, इस बात का संकेत दे रहा था कि कुमार स्वामी की सरकार संकट में है।
भारी संख्या में विधायकों के बाहर हो जाने की स्थिति में बने नई गणित के हिसाब से बहुमत का आंकड़ा पाने में कुमारस्वामी नाकामयाब रहे। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को मात्र 99 वोट पड़े जबकि सामने बीजेपी को 105 वोट।
इसी के साथ बीजेपी जीत का जश्न मनाने लगी और विधानसभा में भी बीएस येदुरप्पा और अन्य विधायकों ने विक्ट्री का साइन दिखाया और अपने बयान में येदुरप्पा ने दावा किया कि कुमारस्वामी की सरकार से लोग ऊब चुके थे इसलिए अब कर्नाटक में विकास की नई गंगा बहाने के लिए हम सरकार चलाएंगे ।
दूसरी तरफ बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रहे कुमारस्वामी विधानसभा से बाहर निकल गए और उन्होंने कर्नाटक के गवर्नर वजूभाई वाला से मिलने का वक्त मांगा है।