यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर न्यूज चैनल आज तक इन दिनों पंचायत आज तक कार्यक्रम कर रहा है. इस कार्यक्रम में पक्ष और विपक्ष के नेताओं को बुलाकर उनसे सवाल जवाब पूछे जा रहे हैं.
कल यानी शुक्रवार को इस कार्यक्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. इस कार्यक्रम में सीएम योगी के सामने एंकर के रुप में अंजना ओम कश्यप मौजूद थीं. अंजना ओम कश्यप इस दौरान सीएम योगी से सवाल कर रही थीं.
अंजना के सवाल पूछने की शैली में एक खास चीज जो नजर आई, वह यह थी कि वह अपने हर सवालों के साथ एक वाक्य जोड़ रही थीं… विपक्ष का आरोप है. अंजना ने अपनी ओर से एक भी सवाल पूछने की जहमत संभवतः नहीं उठाई.
मीडिया के इस चरित्र का अवलोकन सबने किया. तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई. कई लोगों ने इसे गिर चुकी मीडिया, बिक चुकी मीडिया जैसे अलंकारों से संबोधित किया.
कायदे से अंजना ओम कश्यप को यह पूछना चाहिए था कि यूपी में आपकी सरकार में ये वारदात हुई या ये समस्या है.. इस पर आपके क्या विचार हैं लेकिन शायद अंजना सीएम योगी के प्रति नरम थीं.
मीडिया का कर्तव्य होता है शासन की आंखों में आंखें डाल कर सवाल करना… जो इस पंचायत आज तक कार्यक्रम के दौरान नदारद था.
वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘बदलती पत्रकारिता का नमूना तो देखिए जरा.. कल आज तक न्यूज चैनल पर सीएम योगी आदित्यनाथ जी से जो भी सवाल पूछे गए उनमें कहा गया कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि बेरोजगारी बढ़ रही है, विपक्ष कह रहा है कि महंगाई मुद्दा है. विपक्ष कहता है कि गंगा में लाशें तैर रही थी…
बदलती पत्रकारिता का नमूना देखिए, कल आज तक पर योगीजी से जो सवाल पूछे गए उनमें कहा गया:
– विपक्ष आरोप लगा रहा है की बेरोजगारी बढ़ी है
– विपक्ष कहता है महंगाई मुद्दा है
– विपक्ष कहता है गंगा में लाशें तैर रही थी
ये सवाल विपक्ष ही नहीं, मीडिया को भी पूछना चाहिए, डर कर नही, डट कर।
— Rohini Singh (@rohini_sgh) August 7, 2021
रोहिणी ने कहा कि ये सवाल विपक्ष को ही नहीं बल्कि मीडिया को भी पूछना चाहिए. वो भी डर कर नहीं बल्कि डट कर.
सवाल यह है कि क्या आज तक और अंजना ओम कश्यप को देश में बढ़ती महंगाई नहीं दिखती. दिन प्रतिदिन पेट्रोल डीजल के बढ़ते भाव दिखाई नहीं देते, बेरोजगारों की फौज दिखाई नहीं देती या फिर उन्होंने कोरोना काल में गंगा में तैरती लाशों को नहीं देखा…. फिर डर किस बात का !
क्यों नहीं पूछे गए उनसे ये सवाल मीडिया की ओर से. जाहिर तौर पर ये भारतीय मीडिया के गिरावट का दौर चल रहा है.
निष्पक्ष की बजाय गोदी मीडिया का युग आ चुका है. मीडिया की सरकार भक्ति अब भारतीय लोकतंत्र को खतरे में डाल चुका है.