जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम का सिपाही बताया है तब से देश भर से अलग अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

इस बार पत्रकार रोहिणी सिंह ने पीएम मोदी के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछा है कि जब प्रधानमंत्री जी बांग्लादेश की आजादी के लिए आंदोलन कर सकते हैं तो किसानों के आंदोलन से उन्हें क्या परेशानी है!

रोहिणी सिंह ने अपने ट्वीट के माध्यम से पूछा है कि “बांग्लादेश के स्वाधीनता आंदोलन में शामिल होने वाले प्रधानमंत्री जी को अपने देश, अपने हक, अपनी मिट्टी के लिए संघर्ष कर रहे किसान आंदोलनजीवी क्यों लगते हैं?

 

उनके इस ट्वीट के जवाब में ढेरो दिलचस्प प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरु हो गई। एक यूजर ने लिखा कि अगर गहराई से जानकारी कलेक्ट की जाए तो हड़प्पा की खुदाई में भी साहेब का कुछ ना कुछ योगदान निकल कर सामने आ जाएगा।

वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा है कि जिस विचारधारा के लोग भारत की आजादी का विरोध करते थें, मौजूदा समय में उनके आका बांग्लादेश के लिए आंदोलन कर रहे थें !

बताते चलें कि पिछले दिनों राज्यसभा में किसान आंदोलन पर बोलते हुए पीएम मोदी ने किसानों को आंदोलनजीवी करार दिया था।

मोदी ने कहा था कि हम लोग आज तक बुद्धिजीवी और श्रमजीवी जैसे शब्दों से आज तक परिचित थें लेकिन मैं देख रहा हूं पिछले कुछ दिनों से देश में एक नई जमात का जन्म हुआ है, जिसे आंदोलनजीवी कहा जा सकता है।

वहीं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के दौरे पर गए तो उन्होंने वहां खुद को ही आंदोलनों वाला नेता बता दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के पहले आंदोलनों में से एक रहा।

यानी कि पीएम मोदी ने स्वयं स्वीकार किया बांग्लादेश की आजादी के साथ साथ वो कई आंदोलनों में शामिल हो चुके हैं।

उनके इसी बयान पर रोहिणी सिंह ने पलटवार करते हुए पूछ दिया है कि आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि मैं कई आंदोलनों का हिस्सा रहा हूं, ऐसे जब देश का किसान अपने हक अधिकार की लड़ाई के लिए आंदोलन कर रहा है।

तब आप और आपकी सरकार किसानों पर तरह तरह के आक्षेप लगा रही है और आप संसद में खड़े होकर किसानों को आंदोलनजीवी करार दे रहे हैं।

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