भारतीय जनता पार्टी में ऐसे कई नेता है। जिनकी डिग्री पर सवाल उठा चुके हैं। कई भाजपा नेता फर्जी डिग्री मामले में फंस भी चुके हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी शुमार है।

दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने इस संदर्भ में केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाए जाने की मांग उठाते हुए कोर्ट में एक अर्जी दायर की थी।

अब फर्जी डिग्री मामले की सुनवाई कर रही मजिस्ट्रेट ने जिला जज को पत्र लिखकर इस सुनवाई से उन्हें अलग करने की मांग कर डाली है।

खबर के मुताबिक, उन्होंने इस संदर्भ में जिला जज को भेजे पत्र में बताया है कि केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा के सदस्य हैं। जिसके चलते इस केस की सुनवाई उनके कार्य क्षेत्र से बाहर है।

इसलिए उन्हें इस सुनवाई से अलग कर दिया जाए। मजिस्ट्रेट द्वारा इस मामले की सुनवाई एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में करवाए जाने की मांग की गई है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर यह आरोप है कि उन्होंने फर्जी डिग्री के सहारे विधानसभा चुनाव लड़ा।

इसलिए सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जिला जज को पत्र लिखकर इस मामले को एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर करने की बात कह दी है।

दरअसल केशव प्रसाद मौर्य ने साल 2007 में शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उस दौरान उन्होंने हलफनामे में अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जारी डिग्री लगाई है।

जोकि प्रदेश सरकार या किसी भी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। उनकी डिग्री में जो डिटेल्स दी गई है उन सब पर अलग-अलग साल लिखे हुए हैं।

अपनी इसी डिग्री के आधार पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से पेट्रोल पंप भी लिया हुआ है।

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