टीएमसी की बेबाक सांसद महुआ मोइत्रा ने बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए परिवार-वाद का आरोप लगाया है।
महुआ मोइत्रा का दावा है कि जगदीप धनखड़ ने बंगाल राजभवन में अपने कई रिश्तेदारों और परिचितों की नियुक्तियां की हैं। महुआ ने इन नियुक्तियों की सूचि भी ट्विटर पर साझा की।
राज्यपाल के ओएसडी अभ्युदय सिंह शेखावत, ओएसडी-समन्वय अखिल चौधरी, ओएसडी प्रशासन रुचि दुबे, ओएसडी-प्रोटोकॉल प्रशांत दीक्षित, ओएसडी-आईटी कौस्तुभ वालिकर और नव-नियुक्त ओएसडी किशन धनखड़ वो नाम हैं जो राज्यपाल के करीबी हैं और राजभवन में नियुक्त किए गए हैं।
And Uncleji- while you’re at it- take the extended family you’ve settled in at WB RajBhavan with you. pic.twitter.com/a8KpNjynx9
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) June 6, 2021
महुआ मोइत्रा ने कहा है कि राज्य सरकार से सवाल पूछने की जगह राज्यपाल अगर आइने में अपना चेहरा देखें तो वो देखेंगे कि वे अपने पूरे गांव और पूरे खानदान को राजभवन ले आए हैं।
महुआ यहीं नहीं रुकीं और आगे राज्यपाल को अंकल जी कहते हुए लिखा पश्चिम बंगाल की ‘चिंताजनक स्थिति’ सुधर जाएगी अगर आप क्षमा-याचना करके वापस दिल्ली चले जाएं और कोई अन्य नौकरी तलाश लें।
उन्होंने सुझाव भी दिया कि विपक्ष को कितने बेहतर करीके से ठोको, इसको लेकर मुख्यमंत्री अजय बिष्ट योगी के सलाहकार बन जाइए।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने महामारी के दौरान हुई अव्यवस्था पर भी निशाना साधते हुए कहा कि, महामारी के दौरान कैसे बेहतर तरीके से छुपा जाए,
इसके लिए गृह मंत्री के सलाहकार बन जाइए और हां जब आप वापस जएं तो पश्चिम बंगाल के राजभवन में बसे अपने भरे-पूरे परिवार को साथ ले जाएं।
महुआ मोइत्रा के इस तेज तर्रार अंदाज में ट्वीट करने के बाद दिल्ली से लेकर बंगाल तक हंगामा होना तय है।
एक ही ट्वीट में उन्होंने बंगाल के राज्यपाल के परिवार-वाद, उत्तर प्रदेश में योगी के लगातार विपक्ष पर हमले और महामारी में नदारद रहे गृहमंत्री अमित शाह पर एक साथ तीखी टिप्पणी की।
ऐसे ट्वीट का जवाब देने में भाजपा फिलहाल असमर्थ है। अभी तक कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
वहीं पश्चिम बंगाल के राजभवन में पसरे परिवार-वाद के आरोप के बाद वहां भी सभी ने चुप्पी साधी हुई है।
महुआ मोइत्रा ने इस ट्वीट से मोदी औऱ शाह के उस पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है जिसके अंतर्गत वो संघ के समर्थकों को लगभग हर राज्य के राज्यपाल के पद पर बैठाकर राज्यपाल के पद के महत्व को खत्म कर चुके हैं।