मोदी सरकार ‘सरकारी’ उपक्रमों को बेच रही है और लालायित अडाणी समूह सरकारी हवाई अड्डों-रेलवे स्टेशनों को खरीद रही है। ऐसा लग रहा है जैसे अडाणी समूह सभी सरकारी उपक्रमों को खरीदने पर आमादा है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को खरीदने के लिए भी अडाणी ग्रुप इछुक हैं।

दरअसल रेल मंत्रालय के रेल लैंड डेवेलपमेंट अथॉरिटी ने बीते दिनों मैं दिल्ली रेलवे स्टेशन के निजीकरण के सिलसिले में जो प्री-बीड मीटिंग का आयोजन किया था, उसमें अडाणी समूह के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

बता दें कि अभी हाल ही में लखनऊ, जयपुर और अहमदाबाद समेत देश के छह बड़े हवाई अड्डों का निजीकरण किया है। गौरतलब हो कि यह सभी हवाई अड्डे अडाणी ने ही लिए हैं।

अडाणी पर मोदी सरकार भी खूब मेहरबान है क्योंकि, हर बड़ी सरकारी प्री-बीड में अडाणी समूह बाजी मार जाता है।

आरएलडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस प्री-बीड मीटिंग में देशी-विदेशी कुल 20 कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इसमें फ्रांस की सरकारी रेलवे कंपनी जीएमआर, जेकेबी इंफ्रा आदि नाम शामिल थे।

इस रेलवे स्टेशन को 60 सालों के लिए अडाणी के हाथों में सौंपा जाएगा। इसके तहत स्टेशन के आसपास की सरकारी जमीन पर निजी कंपनी का कब्जा हो जाएगा। निजी कंपनी अपने हिसाब से फैसले लेगी। यहां कमर्शियल हब सहित यात्रियों की सुविधा बढ़ाने की बात की जा रही है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन देश का सबसे बड़ा और दूसरा सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन पर हर रोज 400 से भी ज्यादा ट्रेने आती-जाती हैं। रेलवे की योजना महज दिल्ली स्टेशन बेचने की ही नहीं है बल्कि, तिरुपति, देहरादून, नेल्लोर और पुड्डूचेरी सहित 62 रेलवे स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से निजी हाथों में सौंपा की तैयारी कर रहा है।

सवाल उठता है कि जब मोदी सरकार में सभी सरकारी कंपनियों को एक-एक कर बेचा जा रहा है तो फिर नरेंद्र मोदी किस विकास की बात करते हैं? क्योंकि वो तो लगातार बनी बनाई कंपनियों और तमाम सरकारी विभागों को बेचते जा रहे हैं।

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