जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कन्हैया कुमार ने मज़दूरों की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है और मज़दूरों की इस बदहाली के लिए केंद्र की मोदी सरकार को ज़िम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि सरकार मुश्किल की इस घड़ी में मज़दूरों का ख्याल नहीं रख रही है।
सरकार पर तंज़ कसते हुए कन्हैया ने ट्विटर के ज़रिए कहा कि वादा- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का किया गया था। लेकीन ये नहीं बताया गया था कि इस वादे में कुछ शर्तें भी हैं और वो शर्तें ये हैं कि सरकार के सब में ग़रीबों, मज़दूरों और बेरोज़गारों को शामिल नहीं किया जायेगा।
वादा-
“सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” ****शर्तें लागू-
ग़रीबों, मज़दूरों और बेरोज़गारों को छोड़कर— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) May 11, 2020
बता दें कि सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव गरीबों और मज़दूरों पर पड़ा है। लॉकडाउन में काम बंद होने की वजह से मजदूरों के सामने भुखमरी की समस्या खड़ी हो गई है। वो इस समस्या से बचने के लिए अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन सरकार उनके लिए कोई प्रबंध नहीं कर रही।
जिसके चलते वो पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफ़र तय कर रहे हैं। ऐसे में वो हादसों का भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे हादसों में अब तक 50 से ज़्यादा मज़दूरों की मौत हो चुकी है।
इससे पहले भी कन्हैया कुमार ने एक ट्वीट के ज़रिए हादसों के शिकार होते प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार और समाज पर सवाल उठाया था उन्होंने लिखा था कि कोरोना ने समाज के एक बड़े तबके को बुरी तरह से प्रभावित किया है। खासकर गरीबों-मजदूरों के लिए यह जीने-मरने का सवाल बन चुका है। अपने घर लौटने की जद्दोजहद में लगातार मजदूरों की जान जा रही है।
कन्हैया ने लिखा था कि सत्ता व समाज को इसे गंभीरता से लेना चाहिए वरना मानवता की हमारी सारी दलीलें खोखली साबित होगा।