न्यू इंडिया की गजब तस्वीर सामने आ रही है। देश की राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन नहीं है। कोरोना मरीज ऑक्सीजन की कमी से तड़प तड़प कर मर रहे हैं।

वह राजधानी जहां देश के राष्ट्रपति रहते हैं, प्रधानमंत्री रहते हैं, जहां से पूरे मुल्क पर हुकूमत होती है। जब देश की राजधानी का यह हाल है तो पूरे देश में कैसी विस्फोटक स्थिति होगी, ये ऐसे ही समझा जा सकता है।

राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी और केंद्र सरकार के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।

ऑक्सीजन की आपूर्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि हमें कड़ा रास्ता अपनाने के लिए मजबूर न किया जाए।

आज हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने कहा कि राजधानी में एक दिन में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं बल्कि हर दिन इतनी ही आपूर्ति करती है। हमें इसे लेकर बेहद चिंतित भी हैं और गंभीर भी।

सरकार को हर हाल में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रति दिन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। ऐसा मत किजिए कि हमें यानी सुप्रीम कोर्ट को कोई कड़ा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ जाए।

मालूम हो कि कोर्ट ने सरकार पर ये टिप्पणी राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन के आवंटन, आपूर्ति एवं वितरण को लेकर केंद्र की ओर से विवरण दिए जाने के बाद किया।

दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हालात बेहद मुश्किल होते जा रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग असमय मौत के मुंह में जा रहे हैं, उधर केंद्र सरकार लगातार दिल्ली की केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश में जुटी हुई है।

भाजपा आईटी सेल निरंतर दिल्ली सरकार को बदनाम करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। असत्य और अफवाह की फैक्ट्री खोल दी गई है।

इतनी बड़ी महामारी में भी जिस प्रकार से सत्ताधारी दल के द्वारा राजनीति की जा रही है, वो किसी भी प्रकार से सही नहीं है।

यही वजह है कि जब केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन आवंटन, आपूर्ति और वितरण की रिपोर्ट मांगी तो उसमें केंद्र सरकार की मंशा साफ नजर आ गई कि असल में उसका मकसद क्या है और कोर्ट को सरकार को फटकार लगाने को मजबूर होना पड़ा।

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