‘सरहदों पर तनाव है क्या पता करो चुनाव है क्या?’ शायर राहत इंदौरी की इस लाइन को इन दिनों जमकर विपक्षी नेता अपने मंच से बोल रहें है। वहीं बीजेपी इसे सत्य करने में लगी हुई है हर सड़क, हर मोड़ और हर दीवार पर सेना के साथ पीएम मोदी की तस्वीर के साथ नज़र आ रही है।

होर्डिंग के जरिये सेना का क्रेडिट लेने की कोशिश की जा रही है। नारे कुछ इस तरह है ‘दुश्मन के घर घुसकर आतंकियों पर प्रहार फिर एक बार मोदी सरकार’ या फिर फौजियों को मिला वन रैंक वन पेंशन का उपहार फिर एक बार मोदी सरकार।

इन नारों पर भारतीय नौसेना (इंडियन नेवी) के पूर्व कमोडोर लोकेश बत्रा ने चुनाव आयोग से शिकायत की है और साथ ही ये भी कहा है कि सेना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

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अपने खुले पत्र में पूर्व कमोडोर ने लिखा कि मैं चुनाव आयोग द्वारा जारी उन निर्देशों की याद दिलाना चाहता हूं, जिनमें साफ-साफ कहा गया है कि कोई भी पार्टी चुनावी फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेना के कार्यों का उपयोग नहीं कर सकती हैं, लेकिन मुंबई के कुछ इलाकों में ऐसे होर्डिग लगाए गए हैं, जो आयोग के निर्देशों का साफ-साफ उल्लंघन है। इन होर्डिंग की वजह से लोगों में भ्रामक संदेश भी जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ऐसा करना चुनाव आयोग के निर्देशों का पूरी तरह उल्लंघन है। चुनाव आयोग को इस मामले में सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।

बता दें कि दिल्ली मुंबई और देश के हर बड़े छोटे शहरों में ऐसे पोस्टर इन दिनों आम है। जबकि चुनाव आयोग ने पहले ही साफ़ कर दिया था की किसी भी सूरत में पाकिस्तान में हुई एयरस्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र चुनाव में नहीं करना है और ना ही सेना की कार्रवाई का क्रेडिट लेना है ना ही सेना के नाम पर वोट मांगना है

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