भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आखिरकार मान ही लिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘हम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था में कितनी सुस्ती है और यह किन वजह से हो रही है, इस पर चिंतन करने की जरूरत है’।

एक किताब का विमोचन के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसको पढ़ने के बाद लोगों को सही मायनें में पता चलेगा कि क्या कारण हैं, जिनसे ऐसा देखने को मिल रहा है।

बता दें कि भारत की विकास दर छह साल के सबसे निचले स्तर पर जून में पहुंच गई थी। यह पांच फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है। दरअसल वह यहां वित्तीय विषय पर अंग्रेजी में लिखी पुस्तक ‘द राइज ऑफ फाइनांस कॉजेज, कॉन्सिक्युऐंसेस एंड क्योर’ के विमोचन पर बोल रही थीं।

उन्होंने कहा कि ‘यह पुस्तक ऐसे समय में आई है जब आर्थिक मंदी की स्थिति को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। यह मंदी वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है और उसे नीचे खींच रही है। ऐसे में यह सवाल भी लाजिमी है कि क्या भारत वास्तव में नरमी में फंस गया है’।

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक समेत कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के विकास दर का अनुमान घटा दिया है। लेकिन मोदी सरकार के कई मंत्री इस बात से इंकार करते रहें है। लेकिन खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार कर लिया है की देश की आर्थिक दशा ठीक नहीं है।

वहीं आपको बता दे कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने पिछले दिनों भारत की क्रेडिट रेटिंग को नकारात्मक कर दिया। जिसे भारत की आर्थिक साख को घटाने की दिशा में पहला कदम माना जाता है। मूडीज के इस रिपोर्ट के बाद भारत की आर्थिक विकास दर आनेवाले दिनों में नीचे रहने का जोखिम और बढ़ने वाला है।

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