एक तरफ जहां लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पूर्ण माहौल बना हुआ है। भाजपा समर्थक और हिंदूवादी संगठनों द्वारा सोशल मीडिया पर चीनी सामान का बहिष्कार करने की मुहिम चलाई जा रही है।

वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार चुपचाप भारत के बैंकों को चीन के हवाले कर रही है। खबर सामने आई है कि हाल ही में चीन के सेंट्रल बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारत के निजी क्षेत्र के बैंक ICICI बैंक में निवेश किया है।

लेकिन अब इस मामले में ना तो कोई भाजपा समर्थक विरोध जता रहा है और ना ही कोई हिंदूवादी संगठन चीन को गालियां दे रहा है।

जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि चीन के किसी केंद्रीय बैंक ने भारत के किसी बैंक में निवेश किया हो। इससे पहले मार्च में भी चीन ने एचडीएफसी लिमिटेड में निवेश किया था और अपना हिस्सा बढ़ाकर 1 फ़ीसदी से ज्यादा कर लिया था।

चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ़ चाइना ने ICICI में महज 15 करोड़ रुपये का निवेश किया है और यह निवेश क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिए हुआ है।

इस मामले में जानकारों का कहना है कि इससे देश हित में किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है क्योंकि भारत में बैंकिंग का कारोबार आरबीआई की सख्त निगरानी में होता है। दरअसल चीन का केंद्रीय बैंक अब भारत जैसे अन्य देशों में अपना निवेश बढ़ा रहा है।

गौरतलब है कि भारतीय मीडिया द्वारा यह दावे किए जा रहे हैं कि भारत सरकार चीन के निवेश को भारतीय अर्थव्यवस्था में आने से रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है, लेकिन इसके विपरीत चीन अब भारत के बैंकिंग सेक्टर में भी प्रवेश कर चुका है।

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