यूपी टीईटी परीक्षा पेपर लीक मामले में एक नया खुलासा सामने आया है. एसटीएफ ने अपनी जांच में यह पाया है कि जिस आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड फर्म को पेपर छपने का ठेका दिया गया उस पते पर सालों से शराब का गोदाम चल रहा है.
साथ ही जांच में यह बात सामने आई कि इस फर्म के पास कोई भी प्रिंटिंग मशीनें नहीं हैं.
जब सरकार बिना जांच पड़ताल के अपने करीबियों को सरकारी ठेका देगी इस स्थिति में पेपर लीक होना कोई बड़ी बात नहीं है.
दरअसल जिस फर्म को पेपर छपने का ठेका दिया गया उसका मालिक राय अनूप प्रसाद और परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय पुराने दोस्त हैं.
आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड फर्म को बिना जांच पड़ताल के 23 लाख टीईटी परीक्षा पेपर छपने का ठेका 13 करोड़ रुपये में दिया दिया गया था.
इस फर्म का पता बी-2/68, मोहन कॉपरेटिव एरिया, फेस-2 बदरपुर नई दिल्ली है. जांच में नई दिल्ली के इस पते पर शराब का गोदाम चल रहा है.
फर्म के पते की जांच में शराब का गोदाम निकलकर आने पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने योगी सरकार पर निशाना साधा है.
प्रशांत भूषण ने कहा है कि “बियर गोदाम के पते पर दे दिया टीईटी पेपर छपने का ठेका, ऐसे में पेपर लीक नहीं होगा तो क्या होगा? बेरोजगारी चरम पर, योगी जी धर्म पर.
क्या बात है योगी सरकार की! बीयर गोदाम के पते पर दे दिया टीईटी पेपर छापने का ठेका। ऐसे में पेपर लीक नहीं होगा तो क्या होगा? बेरोजगारी चरम पर। योगी जी धर्म पर! pic.twitter.com/4vkIvVUJf1
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 4, 2021
राय अनूप प्रसाद और संजय उपाध्याय को आमने-सामने बैठाकर एसटीएफ के अधिकारीयों ने पूछताछ की.
जांच अधिकारीयों की मानें तो इन दोनों के बीच पुरानी दोस्ती है, जब संजय गौतमबुद्ध नगर में डायट के प्राचार्य के पद पर तैनात थे. संजय और राय की अक्सर नोएडा के पांच सितारा होटलों में मिलाकात होती थी.
इसी दोस्ती के चलते राय की आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड फर्म को टीईटी परीक्षा पेपर छपने के ठेका मिल गया और राय ने सरकार से ठेका लेकर चार अन्य प्रिंटिंग प्रेस को पेपर छपने का काम दे दिया.
इस लापरवाही के चलते पेपर लीक हुआ और परीक्षा के दिन प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर साझा किये जाने लगे. ऐसी स्थिति में यूपी सरकार को पेपर रद्द करना पड़ा.
यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेपर रद्द करते हुए परीक्षार्थियों को आश्वासन दिया है कि यह परीक्षा एक महीने बाद फिरसे कराई जाएगी.
लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकारी तंत्र में इतनी अपारदर्शिता होने के चलते पिछले चार वर्षों में आधा दर्जन से अधिक परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, उनसे कैसे निपटने की सरकार की तैयारी है?