देश में कोरोना महामारी के दौरान कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए मोदी सरकार ने लोगों को आरोग्य सेतु ऐप इस्तेमाल करने का बढ़ावा दिया था। देश के लाखों लोगों ने इस ऐप को अपने मोबाइल में रखा।

अब सवाल खड़ा हो गया है कि इस ऐप को आखिर किसने बनाया है। दरअसल आरोग्य सेतु एप में बताया गया है कि इसे नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर और इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलोजी मिनिस्ट्री की तरफ से तैयार किया गया है।

लेकिन इस ऐप को लेकर डाली गई एक आरटीआई के जवाब ने सनसनी मचा दी है। देश के लाखों लोगों का पर्सनल डेटा दांव पर लग गया है।

दरअसल एनआईसी और आईटी मिनिस्ट्री ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि उनके पास इस ऐप की डेवलपमेंट को लेकर न कोई डेटा उपलब्ध है। न उन्हें इस बात की जानकारी है कि इसे किसने बनाया है।

इस मामले में अब मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ चुकी है। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस खबर को शेयर करते हुए लिखा है कि “मोदी सरकार में सबकुछ एक्ट ऑफ गॉड के तहत हो रहा है।”

वही मशहूर पत्रकार विनोद कापड़ी ने राहुल गांधी के एक बयान को शेयर करते हुए ट्वीट किया है।

उन्होंने लिखा है कि तक़रीबन 6 महीने पहले राहुल गांधी ने देश को #AarogyaSetuApp के बारे में चेताया था। तब सब ने मज़ाक़ बनाया था। नतीजा देख लो।

आपको बता दें कि राहुल गांधी ने ट्वीट कर कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार द्वारा जारी की गई आरोग्य सेतु एप को एक निगरानी करने वाला सिस्टम करार दिया था।

उन्होंने लिखा था कि ये एक प्राइवेट ऑपरेटर का आउटसोर्स है। जिसकी संस्थागत स्तर पर कोई निगरानी नहीं की जा रही।

इस ऐप में लोगों के पर्सनल डेटा और प्राइवेसी से संबंधित कई समस्याएं हैं। टेक्नोलॉजी मददगार है। लेकिन डर के नाम पर फायदा उठाना गलत है। लोगों की सहमति के बिना उन्हें ट्रेस करना सही नहीं।

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