पिछले दिनों हरियाणा के मेवात के खेड़ा खलीलपुर का आसिफ़ हत्याकांड बेहद चर्चा में था। आसिफ़ एक जिम ट्रेनर था, जिसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

इस हत्याकांड के 09 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जिसके बाद आरोपियों के समर्थन में नूंह में हिन्दू संगठनों की एक महापंचायत बुलाई गई।

इस महापंचायत में बोलते हुए करणी सेना के अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू ने कहा कि आसिफ़ जैसे लोग हमारी बहन बेटियों का अश्लील वीडियो बनाएं और हम उनका मर्डर भी न करें. पकड़े गए आरोपियों को छोड़ने की मांग करते हुए करणी सेना के अध्यक्ष ने कहा कि हमारे बच्चे बेगुनाह हैं, उन्हें रिहा किया जाए।

हज़ारों लोगों की भीड़ में सूरजपाल अम्मू ने कहा कि जिस आसिफ़ की हत्या हुई है, वो गुनहगार है। अगर पुलिस हमारे निर्दोष बच्चों को नहीं छोड़ती है तो हम आगे की रणनीति तैयार करेंगे।

मालूम हो कि आसिफ़ की मॉब लिंचिंग की गई थी, इसमें दो दर्जन से भी ज्यादा लोगों ने आसिफ़ की पीट पीट कर हत्या कर दी थी।

इस घटना के दौरान वहां मौजूद दो चश्मदीद गवाहों को भी पीट पीट कर अधमरा कर दिया गया था, जैसे तैसे दोनों ने भाग कर अपनी जान बचाई थी।

फ़िल्म निर्देशक एवं लेखक विनोद कापड़ी ने ट्विटर पर महापंचायत की उस वीडियो को अपलोड किया है जिसमें करणी सेना का अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू भड़काऊ भाषण देता हुआ सुनाई दे रहा है।

विनोद कापड़ी ने लिखा है कि करणी सेना का सूरजपाल अम्मू खुलेआम 50 हज़ार लोगों की भीड़ के समक्ष आसिफ़ की हत्या को उचित ठहरा रहा है और भीड़ तालियां बजा रही है.

चिंता व्यक्त करते हुए विनोद कापड़ी ने कहा कि “ये देश बर्बादी के उस रास्ते पर चल पड़ा है, जहां से वापसी का कोई रास्ता नहीं बचता है”

वहीं जानी मानी रेडियो जॉकी सायमा ने भी ट्वीट किया है कि “ये देखिये, हत्या पर तालियां बजाई जा रही है. कोरोना काल में हो रही इस महापंचायत में 50 हज़ार लोग इकट्ठे हैं, इन पर कोई कार्यवाही नहीं !

सायमा ने इस मामले में देश के लोगों की चुप्पी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि इस देश में दरिंदगी फैलाई जा रही है, चुप्पी ही आज मौत का दूसरा नाम है.

जाहिर तौर पर देश के कई हिस्सों में पिछले कुछ सालों से लगातार मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस लिंचिंग के सर्वाधिक शिकार एक वर्ग विशेष के लोग हो रहे हैं।

जिस देश में कानून का राज चलता हो, वहां पर धर्म के नाम पर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अफसोस तो इस बात का है कि देश में ऐसा जहरीला माहौल बन चुका है, जिसमें हत्यारों की तरफदारी करने वालों की बड़ी संख्या हो चुकी है।

निःसन्देह देश एक ऐसे अंधेरे रास्ते पर आगे बढ़ चुका है, जहां से रौशनी में वापस लौटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।

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