कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। जिसपर पक्ष और विपक्ष के नेताओं की तीखी टिप्पणी आने लगी है।

शिव सेना (उद्धव ठाकरे) गुट के नेता संजय राउत ने भी टिप्पणी करते हुए कहा है कि “कश्मीर फाइल्स फिल्म पूरी तरह प्रोपैगेंडा ही थी, एक पार्टी ने अपने लोगो से इस प्रोपैगेंडा का खूब प्रचार करवाया था।”

संजय राउत ने कहा है कि ये फिल्म आने के बाद कश्मीरी पंडितों पर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं, तब फिल्म बनाने वाले छुप गए थे। आगे उन्होंने बोला कि “एक पार्टी ने अपने लोगो से इस प्रोपैगेंडा का खूब प्रचार करवाया था।”

ये फिल्म अपने रिलीज़ के समय से ही विवादों में रही है। दरअसल नया विवाद कश्मीर फाइल्स को लेकर अब इसलिए शुरू हुआ है क्यूंकि अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (आईएफएफआई) के मंच पर ही आईएफएफआई के जूरी प्रमुख नदव लैपिड ने फिल्म को लेकर बोला है कि “यह फिल्म प्रोपैगेंडा और भद्दी फिल्म है।

उन्होंने आगे यहाँ तक कह दिया कि यह फिल्म फेस्टिवल की स्पर्धा में शामिल भी किए जाने लायक नहीं थी। नदव लैपिड ने जब यह टिप्पणी दी उस वक़्त मोदी सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे।

यह फिल्म जनवरी 1990 में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर केंद्रित है। जब कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों ने कश्मीर से पलायन करने पर मजबूर कर दिया था। यह फिल्म उसी घटना के आसपास घूमती है।

फिल्म का खुद प्रधानमंत्री मोदी ने प्रचार किया था उस वक़्त प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह फिल्म उस सच्चाई को सामने ला रही जिसे जानबूझकर छिपाया गया था। पूरी जमात जिसने अभिव्यक्ति की आज़ादी का झंडा फहराया था, वह 5-6 दिन से उग्र है। कला के आधार पर आलोचना करने के बजाय फिल्म को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।”

प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि बीजेपी के बहुत से नेताओं ने भी जमकर “कश्मीर फाइल्स” फिल्म का प्रचार किया था।

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