महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास आघाडी और भारतीय जनता पार्टी के बीच तनाव बढ़ता चला जा रहा है। खास तौर पर शिवसेना और भाजपा में कई मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा हैं।

इसी बीच महाराष्ट्र सरकार के परिवहन मंत्री अनिल परब और लोकसभा सांसद भावना गवली पर ईडी द्वारा छापेमारी की गई है। राज्य परिवहन मंत्री अनिल परब को ईडी 31 अगस्त को एजेंसी के समक्ष पेश होने का नोटिस जारी किया गया था।

इस मामले में एक बार फिर शिवसेना और भाजपा आमने-सामने आ गए हैं। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है।

इस देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि ईडी क्या करने जा रही है, सीबीआई क्या करने जा रही है? किस को वारंट और समन भेजे जा रहे हैं। किसकी संपति कुर्क होने वाली है।

यह भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने सोशल मीडिया पर लिस्ट बनाकर बता रहे हैं।

उससे देश के लोगों के मन में विश्वास हो गया है कि ईडी को भाजपा द्वारा चलाया जा रहा है। या बीजेपी को ईडी द्वारा चलाया जा रहा है।

शिवसेना नेता संजय राउत ने यह भी कहा है कि ईडी द्वारा जारी किया गया नोटिस कोई डेथ वारंट नहीं है। यह राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए एक लव लेटर की तरह होता है।

महाविकास आघाडी सरकार को तोड़ने के इस तरह के कई असफल प्रयास किए जा चुके हैं। लेकिन हम किसी से डरते नहीं हैं। हमारी सरकार और मजबूत हो रही है।

इसके अलावा एनसीपी के प्रवक्ता और मंत्री नवाब मलिक ने भी भाजपा के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है।

उनका कहना है कि गैर भाजपा शासित राज्यों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई एक स्पष्ट राजनीतिक प्रतिशोध की तरह है।

भाजपा के कई नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से पहले ही यह कह देते हैं कि अमुक नेता को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। अब केंद्रीय जांच एजेंसियों के लिए देश की जनता के मन में शक पैदा होने लगा है।

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