पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी आजकल दिल्ली दौरे पर पहुंची हुई है।

जहां वह विपक्षी दलों के कई नेताओं के साथ मुलाकात कर रही है। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बैठक की है।

इसी बीच खबर सामने आई है कि ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी मामले में एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए 2 सदस्य पैनल का गठन किया है।

ममता बनर्जी ने इस संदर्भ में कहा है कि पेगासस के जरिए से न्यायपालिका और देश के लोगों की जासूसी करवाई गई है।

मुझे उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखलअंदाजी कर जांच के आदेश देगा। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

इसलिए हमने इस पैनल का गठन किया है। जोकि देश के नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों की अवैध हैकिंग, मोबाइल फोन टैपिंग की निगरानी करेंगे।

ममता बनर्जी के इस फैसले का शिवसेना द्वारा भी समर्थन किया गया है। शिवसेना ने इस संदर्भ में अपने मुखपत्र सामना में ममता बनर्जी की तारीफ और मोदी सरकार की आलोचना की है।

शिवसेना ने सामना में लिखा है कि पेगासस के जरिए देश के कई मंत्रियों, न्यायाधीशों और पत्रकारों की जासूसी करवाई गई है। इसे मोदी सरकार द्वारा गंभीर ना मानना अपने आप में ही एक रहस्यमई बात है।

शिवसेना का कहना है कि ममता बनर्जी ने पेगासस मामले की जांच का फैसला लेकर एक साहसी कदम उठाया है। ये फैसला केंद्र सरकार द्वारा लिया जाना चाहिए था।

हर मुख्यमंत्री का दायित्व होता है कि वह अपने राज्य के नागरिकों के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा करें। ममता बनर्जी ने ये फैसला लेकर देश के अन्य राज्य की सरकारों को भी जगाने का काम किया है।

शिवसेना ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर फ्रांस सरकार जांच कर सकती है तो भारत सरकार क्यों नहीं। बता दें, फ्रांस सरकार द्वारा पेगासस मामले में जांच शुरू की जा चुकी है।

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