Tanya Tadav

कोरोना महामारी देशभर के प्रवासी मजदूरों पर एक कहर बनकर टूटी है। न जाने कितने बेघर हो गए और कितनों ने अपनों को खो दिया। दिहाड़ी मज़दूरों को तो अपने परिवारों के लिए खाने का प्रबंध करने तक में खासा दिक्कत आई है।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन खुलवाने का आदेश राहत देने वाला है।

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार में भोजन का अधिकार और अन्य मूलभूत आवश्यकताएं भी शामिल हैं।’

इसी के तहत न्यायालय ने राज्य सरकारों को ‘एक देश, एक राशन कार्ड’ स्कीम समेत प्रवासी मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन खोलने का आदेश दिया है।

‘लाइव लॉ’ की खबर के अनुसार, अशोक भूषण और एम. आर. शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस फैसले को एक स्वत: संज्ञान (suo moto) मामले में पारित किया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मई 2020 में प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं से निपटने के लिए लिया था।

बेंच ने कहा है कि गरीब व्यक्तियों के लिए भोजन उपलब्ध करवाना केंद्र और राज्य सरकारों का कर्तव्य है।

उन्होंने यह भी कहा है कि अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के मौलिक अधिकार के तहत हर इंसान को गरीमा (डिग्निटी) से जीने का अधिकार है। इस कारण हर किसी के लिए कम से कम जीवन के बेसिक ज़रूरतों, जैसे कि खाना, उपलब्ध होना चाहिए।

पिछले साल जब कोरोना महामारी की पहली लहर आई थी, तब लॉकडाउन के बाद हजारों मजदूर अपने घरों के लिए सड़कों पर पैदल निकल गए थे। इस साल कोरोना की दूसरी लहर में तो ना जाने कितनों ने बीमारी दम तोड़ दिया होगा।

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर भी जल्द ही आ सकती है, ऐसे में राशन कार्ड और कम्युनिटी किचन प्रवासी मज़दूरों के लिए लाभदायक हो सकते हैं।

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