संसद में लगातार विपक्ष के द्वारा केन्द्र पर पेगासस जासुसी मामले में जांच को लेकर माहौल गरमाया हुआ था कि अब पेगासस जासूसी मामले पर 500 से ज्यादा ख्यातिप्राप्त लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।

तो वहीं Pegasus जासूसी मामले पर जाँच कराने का आदेश देने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है अगस्त के पहले हफ़्ते में सुनवाई हो सकती है।

पत्र में कहा गया है कि मामले में जिस तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट ही देख सकता है।

पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर जर्नलिस्टों, विरोधी दल के नेताओं व अन्य के फोन के जरिए जासूसी की गई है।

पत्र में सवाल उठाते हुए चीफ जस्टिस से गुहार लगाई गई है कि सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच करे कि क्या किसी भारतीय संस्थान या कंपनी ने पेगागस की खरीद की थी?

अगर ऐसा है तो फिर उसका भुगतान कैसे किया गया? यह भी जांच की मांग की गई है कि अगर पेगासस की खरीद हुई है तो किसकी जासूसी करनी है, यह कैसे तय हुआ।

उस जानकारी से क्या फायदा हुआ है। इस तरह के टारगेट का जस्टिफिकेशन क्या है?

जर्नलिस्ट, राजनेताओं, वकीलों, मानवाधिकार एक्टिविस्टों और सुप्रीम कोर्ट स्टाफ के निजता के उल्लंघन के मामले में कौन सी संवैधानिक अथॉरिटी निगरानी कर रहा है।

लेटर लिखने वालों में एक्टिविस्ट अरुणा रॉय, हर्ष मंदर, अंजली भारद्वाज, वकील वृंदा ग्रोवर, जूमा सेन, प्रतीक्षा बक्शी, शिक्षाविद व साइंटिस्ट जोया हुसैन, रोमिला थापर, लेखक अरुंधति राय, RJD सांसद मनोज झा, जर्नलिस्ट अनुराधा भसीन आदि शामिल हैं।

इसके अलावा रिटायर सरकारी अधिकारी, रिटायर आर्म्ड फोर्स के अधिकारियों के भी हस्ताक्षर हैं।

वहीं पेगासस जासूसी मामले में आये दिन सत्ता और विपक्ष में झड़प देखने को मिलती है। गौर करने वाली बात यह है कि संसद के रोजाना स्थगन की प्रक्रिया का एक कारण पेगासस जासूसी मामले की जांच है।

वहीं कांग्रेस की मांग है कि प्रधानमंत्री या गृह मंत्री की मौजूदगी में संसद में चर्चा होनी चाहिए।

साथ ही आपको बता दे कि पेगासस पर विपक्ष के हंगामे के चलते दोनों सदनों में आज भी हंगामे के आसार नज़र आ रहे है।

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