कोरोना महामारी और ठंड के बीच हिम्मत करके भले ही किसान अपनी आवाज बुलंद करने दिल्ली तक पहुंच आए हों मगर उनके हौसले तोड़ने के लिए सरकार अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

पहले बैरिकेडिंग की गई उसके बाद आंसू गैस के गोले छोड़े गए वाटर कैनन चलाया गया। उसके बाद भी किसान नहीं माने तो अब उन पर तमाम फर्जी मामले लादे जा रहे हैं।

पुलिस और सरकार द्वारा की जा रही इसी ज्यादती का उदाहरण है – वाटर कैनन का टैप बंद करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले नौजवान किसान नवदीप पर न सिर्फ हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया है बल्कि उसे दंगाई बताया गया है।

इसके साथ ही कोविड-19 के नियमों काउल्लंघन करने का भी चार्ज लगाया गया है।

दरअसल 26 नवंबर यानी संविधान दिवस के दिन पंजाब से हरियाणा आने वाले किसानों को पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर रोक लिया गया था और हरियाणा से आने वाले किसानों को दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर इसके साथ ही जिधर से किसानों का कोई जत्था दिखता पुलिस और अर्धसैनिक बल उन्हें घेर लेते आगे बढ़ने से रोक देते।

सरकारों के इशारे पर बढ़ रहे पुलिसिया दमन का आलम यह था कि इस ठंड में भी किसानों पर वाटर कैनन चलाया जा रहा था, जिसकी धार में भीगते किसानों को देखकर नौजवान नवदीप ने छलांग लगा दिया और वाटर कैनन पर चढ़कर उसका टैप बंद कर दिया। इसके साथ ही छलांग लगाकर वापस ट्रैक्टर पर आ गया।

उसकी इस बहादुरी के काम के लिए जहां एक तरफ तारीफ की जा रही है वहीं दूसरी तरफ पुलिस कोशिश कर रही है कि इस नौजवान की जिंदगी बर्बाद हो जाए क्योंकि जो संगीन धाराएं लगाई गई हैं उनसे आजीवन कारावास भी हो सकता है।

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए नवदीप कहते हैं मैं पढ़ाई करता हूं और अपने पिताजी के साथ किसानी का काम करता हूं। आज तक किसी भी गैर कानूनी काम में शामिल नहीं हुआ हूं यहां वाटर कैनन पर चढ़ने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्रदर्शन कर रहे हमारे किसानों को भिगोया और घायल किया जा रहा था।

इसके साथ ही कृषि कानूनों पर अपनी राय देते हुए नवदीप कहते हैं कि किसान विरोधी कानून बनने के बाद इनके विरोध का हक हमारे पास होना चाहिए जिसका हम इस्तेमाल कर रहे हैं।

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