भारत में जब कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आकर हज़ारों लोग मर जा रहे थे, तब सरकार राजनीतिक और धार्मिक आयोजन करवाने में व्यस्त थी।

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी माना है कि इन्हीं आयोजनों ने दूसरी लहर को तेज़ी दी है।

पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव हो या फिर कुंभ मेले का आयोजन, लाखों की भीड़ में लोग एक दूसरे से सटे जा रहे थे। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के बाद तो राज्य के ग्रामीण इलाकों पर भी कोरोना का कहर देखने को मिला।

दरअसल, WHO ने मंगलवार को कोरोना महामारी पर अपना साप्ताहिक अपडेट जारी किया है। इस अपडेट में भारत में कोरोना की दूसरी लहर फैलने के कई कारण दिए गए।

जिसमें- कोरोना के नए वैरिएंट का तेज़ी से फैलना, धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों में लोगों का मेल-जोल होना, और कोरोना से जुड़े नियमों का पालन न करना शामिल है।

WHO ने किसी आयोजन का नाम तो नहीं लिया, लेकिन जब अप्रैल महीने में कोरोना और स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में लोग मर जा रहे थे तब देश में चुनाव और कुंभ मेला आयोजित करवाए जा रहे थे।

केंद्रीय मंत्री भी कमान संभालने के बजाए बड़ी-बड़ी रैलियां बुलवा रहे थे। हालात बेकाबू होने और अंतराष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए कुंभ मेले में केवल प्रतीकात्मक रूप से समारोह होना चाहिए।

पिछले साल जब भारत में कोरोना महामारी आने का अंदेशा था तो प्रधानमंत्री मोदी ‘नमस्ते ट्रम्प’ का आयोजन करवा रहे थे। इस साल जब दूसरी लहर आई तब भी उनके समेत केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने चुनावी आयोजनों में जमकर रैलियां की।

दूसरे दलों के नेताओं ने भी रैलियां की, लेकिन सरकार कोरोना माहमारी की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग से चुनाव टालने पर बात कर सकती थी।

सबसे बड़ी बात, जिस ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की कमी से लोग मर जा रहे थे उसका पहले ही प्रबंध कर सकती थी। ऐसा होता तो कई लोग बच जाते, अस्पतालों को हाई कोर्ट में जाकर आपात स्थिति में ऑक्सीजन की मांग नहीं करनी पड़ती।

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