“हमारा पति मर गए हैं… बच्चे रो रहे हैं… हमें घर पहुंचा दीजिए” ये बेबस गुहार है दिल्ली में काम करने वाली सुनीता की, जो वो सरकार और प्रशासन से लगा रही हैं। वो अपने मृत पति का चेहरा आखरी बार देखने के लिए अपने घर बिहार के सासाराम जाना चाहती हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें दिल्ली यूपी बॉर्डर पर ही रोक दिया है।
बॉर्डर पर रोके जाने के बाद से सुनीता वहीं बैठी हैं। नई दिल्ली से पैदल चलकर दिल्ली – यूपी गेट पहुंची सुनीता ने शनिवार रात से ही कुछ खाया पिया भी नहीं है। वो यहां बैठकर सरकार – प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कि उन्हें किसी तरह भी उनके घर जाने दिया जाए। उन्हें किसी भी गाड़ी पर बिठा कर उनके घर पहुंचा दिया जाए, जहां उनके पति की लाश पड़ी है।
ABP न्यूज की रिपोर्टर को अपनी दुख भारी दास्तां सुनाते हुए सुनीता ने कहा कि उनके पति की मौत हो गई है और उनकी लाश घर में ही पड़ी है। उन्होंने रोते हुए कहा कि घर में छोटे- छोटे बच्चे हैं, जो बुरी तरह रो रहे हैं। इसी मजबूरी की वजह से उसे घर जाना पड़ रहा है। लेकिन पुलिस उसे जाने नहीं दे रही।
बता दें कि सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव गरीबों और मज़दूरों पर पड़ा है। लॉकडाउन में काम बंद होने की वजह से प्रवासी मजदूरों के सामने भुखमरी की समस्या खड़ी हो गई है। वो इस समस्या से बचने के लिए अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन सरकार उनके लिए कोई प्रबंध नहीं कर रही। जिसके चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इसी अव्यवस्था के कारण मज़दूर हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं। इस दौरान वो भीषण सड़क हादसों का शिकार भी हो रहे हैं और उनकी कई दर्दनाक कहानियां भी सामने आ रही हैं। सुनीता की कहानी भी इन्हीं में से एक है।
साभार: एबीपी न्यूज़