उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ आने से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ख़ैमे में डर का माहौल है। इस बात को ख़ुद भाजपा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने स्वीकार किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मंगलवार को स्वीकार किया कि 2019 लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए एक मुश्किल संघर्ष होगा, खासकर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के कारण लड़ाई कड़ी होगी। बीजेपी सांसद ने कहा, “यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि सपा-बसपा के महागठबंधन के बाद लड़ाई मुश्किल होगी”।
संजीव बालियान ने कहा, “प्रत्येक क्रिया के खिलाफ प्रतिक्रिया होती है। इसमें कोई शक नहीं है कि समाज का एक बड़ा वर्ग बीजेपी को वोट नहीं देता। चाहे वह धर्मिक आधार पर हो या फिर किसी और आधार पर”।
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बीजेपी सांसद के इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2014 लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों में से 71 सीटें पर कब्ज़ा जमाने वाली बीजेपी सपा-बसपा के साथ आने से कितनी डरी हुई है।
हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस बात को नहीं मानते। वह पहले ही कह चुके हैं कि सपा-बसपा के साथ आने से उनकी पार्टी बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। उनका दावा है कि इस बार बीजेपी का प्रदर्शन पिछले चुनाव से भी बेहतर होगा।
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बता दें कि संजीव बालियान बीजेपी के वही नेता हैं जिनपर 2013 मुजफ्फरनगर दंगे को उकसाने का आरोप लगा था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस दंगे में करीब 62 लोगों की मौत हुई थी और 50,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।
कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 71 सीटें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के कारण जीती थीं जिसकी शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई थी।