यूरोपीय संघ के 28 सांसद मंगलवार को कश्मीर में मौजूदा स्थिति का जायज़ा लेने के लिए श्रीनगर रवाना हो गए हैं। समाजवादी पार्टी ने इस दौरे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है।
सपा नेता अबु आज़मी ने ट्विटर के ज़रिए कहा, “वह रे स्वदेशी सरकार! हमारे देश के सांसदों को कश्मीर जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त लेनी पड़ती है लेकिन यूरोप के २७ सांसदों को कोई इजाज़त की जरूरत नहीं। अब देश में अमन और चैन का फैसला देश के लोग नहीं विदेशी सांसद तय करेंगे”।
वह रे स्वदेशी सरकार !!!
हमारे देश के सांसदों को कश्मीर जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त लेनी पड़ती है लेकिन यूरोप के २७ सांसदों को कोई इजाज़त की जरूरत नहीं।
अब देश में अमन और चैन का फैसला देश के लोग नहीं विदेशी सांसद तय करेंगे ।
— Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) October 29, 2019
बता दें कि यूरोपीय संघ के सांसदों को कश्मीर दौरे की अनुमति केंद्र की मोदी सरकार ने दी है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय दल कश्मीर जाएगा। इससे पहले देश या विदेश के किसी भी नेता को कश्मीर जाने की इजाज़त नहीं थी। किसी भी नेता को कश्मीर जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ती थी।
लेकिन अब केंद्र सरकार ने यूरोपीय संघ को कश्मीर जाने की अनुमति देकर नया सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। देश के कई बड़े नेता इस बात पर आपत्ति जता रहे हैं कि जब उन्हें कश्मीर जाने की इजाज़त नहीं दी गई तो फिर विदेशी नेताओं को किस आधार पर अनुमति मिल गई। कांग्रेस ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के दौरे पर जाने के लिए यूरोप के सांसदों का स्वागत किया जाता है, जबकि भारतीय सांसदों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसमें बहुत कुछ ग़लत है।
MPs from Europe are welcome to go on a guided tour of Jammu & #Kashmir while Indian MPs are banned & denied entry.
There is something very wrong with that.https://t.co/rz0jffrMhJ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 28, 2019
हालांकि सरकार का दावा है कि यूरोपीय संघ के सांसदों को कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने की इजाज़त इसलिए दी गई है, ताकि वह उन दावों को खारिज कर सकें, जो कश्मीर को लेकर यूएन में किए जाते रहे हैं।
गौरतलब है कि बार-बार यूएन (UN) में कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी ने खत लिखकर बताया है कि वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। कश्मीरी लोगों को अपने अधिकार इस्तेमाल नहीं करने दिया जा रहा है। वहां भय का माहौल बना हुआ है।