मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पा रही है। सरकार के लगातार दावों के बीच निवेशकों का भरोषा भारतीय अर्थव्यवस्था में घटता जा रहा है और इसी कारण पिछले कई महीनों से विदेशी निवेशक भारतीय बाज़ार से पैसा वापस निकाल रहे हैं। सितम्बर में भी हज़ारों करोड़ रुपए निवेशकों ने वापस निकाल लिए हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई ने सितंबर में भारतीय पूंजी बाजारों से 21,000 करोड़ रुपए निकाल लिए। पिछले चार महीने में ये एफपीआई की सबसे बड़ी निकासी है।

डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर महीने में शेयर बाजार से 10,825 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की, जबकि ऋण बाजार से 10,198 करोड़ रुपए निकाले। इस प्रकार निवेशकों ने कुल 21,023 करोड़ रुपए की निकासी की है।

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ये मई के बाद की सबसे बड़ी निकासी है। मई में विदेशी निवेशकों ने 29,775 करोड़ रुपए की निकासी की थी। इससे पहले विदेशी निवेशकों ने अप्रैल-जून के दौरान 61,000 करोड़ रुपए वापस निकाल लिए थे।

दरअसल सरकार ना ही भारतीय मुद्रा ‘रुपये’ को संभाल पा रही है और ना ही चालू खाते को सीमा में रख पा रही है। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में रुपया डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हुआ है। इस कारण निवेशक भारत में पैसा लगाकर जोखिम नहीं लेना चाहते।

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मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया में वरिष्ठ शोधकर्ता हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक स्तर पर व्यापार मोर्चे पर बढ़ता तनाव, कच्चे तेल की उच्च कीमतों की वजह से चालू खाता घाटा बढ़ने, रुपये की कमजोरी, राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की सरकार की क्षमता को लेकर चिंता और उम्मीद से कम जीएसटी संग्रह निकासी की वजह रही है।

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