भारतीय अर्थव्यवस्था की स्तिथि बिगड़ती जा रही है। गिरते रुपए के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं। और इसी के चलते निवेशकों का भरोसा भारतीय बाज़ार से उठ रहा है। निवेशकों द्वारा भारतीय बाज़ार से निकाले जा रहे पैसे इस बात को दर्शाते हैं। पिछले एक हफ्ते में निवेशकों ने 10 हज़ार करोड़ से ज़्यादा की रकम वापस निकाल ली है।

विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजारों से पूंजी निकालने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार से 10,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा निकाले हैं। इससे पहले सितंबर में भी विदेशी निवशकों ने बाजार से 21000 करोड़ की निकासी की थी।

पीटीआई के मुताबिक विदशी निवेशकों की इस निकासी की प्रमुख वजह कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और कमजोर रुपये को माना जा रहा है, जिसके कारण भारतीय बाज़ारों की हालत डगमगा रही है।

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बजाज कैपिटल के उपाध्यक्ष और निवेश प्रमुख अलोक अग्रवाल ने कहा, ‘कच्चे तेल की कीमतों और अमेरिकी ब्रांड के रिटर्न में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर डॉलर की आपूर्ति की तंग स्थिति इसके पीछे की प्रमुख वजह है क्योंकि इसके चलते ही मुद्रा बाज़ार, बांड और शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है।’

देश में आई.एल एंड एफ.एस जैसे बढ़ी कम्पनियाँ डूबने की कगार पर आ गई हैं। इसके कारण शेयर बाज़ार में भी उथल-पुथल मची हुई है। सितम्बर में शेयर बाज़ार में निवेशकों के 13 लाख करोड़ रुपए डूब गए हैं।

निवेशकों का भरोसा बना रहे और बाज़ार में पूरी तरह से मंदी ना आ जाए इसलिए आरबीआई बाज़ार में पैसा निवेश कर रहा है। हाल ही में केंद्रीय बैंक ने 12000 करोड़ रुपए निवेश किये हैं।

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