
अदनान अली
पिछले पाँच सालों की तरह इस वर्षे भी मोदी सरकार के तमाम दावों की पोल आर्थिक आंकड़ों ने खोल दी है। सांख्यिकी मंत्रालय मंत्रालय से हाल ही में आए आंकड़ों से पता चला है कि भारत में निजी निवेश बुरी तरह गिर गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के आंकड़ें जारी करते हुए बताया है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) में निजी निवेश की विकास दर 2.7% रही जबकि पिछले साल इसी तिमाही में निजी निवेश की विकास दर 6.2% थी।
इस तरह पिछले एक साल में भारत में निजी निवेश 60% कम हुआ है। और ये जब है तब केंद्र सरकार पिछले साल सितम्बर में ही कॉर्पोरेट टैक्स को 25% घटाया था।
बता दें कि इस निवेश पर कोरोना वायरस महामारी का बहुत ज़्यादा प्रभाव नहीं है क्योंकि ये आंकड़ें मार्च, 2020 तक के हैं, और भारत में 24 मार्च 2020 तक केवल 390 कोरोना के मामले थे। इस से प्रतीत होता है कि आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार का प्रदर्शन पहले से ही ख़राब था।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि निजी निवेश घटने का कारण देश में मांग का कम होना है। जबतक मांग नहीं बढ़ती तब तक निजी क्षेत्र का कोई भी खिलाड़ी निवेश के लिए तैयार नहीं है।
यही मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को समझने में नाकाम दिखाई दे रही है। सरकार को जहाँ स्वयं निवेश कर मांग को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए थी वहीं वो कॉर्पोरेट टैक्स कम करने जैसे अपरिपक्व कदम उठाएं।