मोदी सरकार सत्ता में ‘मेक इन इंडिया’ यानि की देश के उत्पादन को मजबूत करने के वादे के साथ आई थी। लेकिन देश का उत्पादन क्षेत्र कमज़ोर होता जा रहा है। हाल ही में आए ‘कोर सेक्टर’ के आकड़े यही दर्शाते हैं। ये लुढक कर 8 महीनों के निचले स्तर पर चला गया है। औद्योगिक

कोर सेक्टर में देश के औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रों का लेखा जोखा होता है। ये सेक्टर किसी भी देश के उत्पादन की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। भारत में भी कोर सेक्टर औद्योगिक क्षेत्र में 40% का योगदान देता है।

इसमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रीफाईनरी उद्योग, खाद, स्टील, सीमेंट, बिजली उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र आते हैं। अगस्त महीने में इन आठ क्षेत्रों में से पांच की ग्रोथ में गिरावट सामने आई है।

कोर सेक्टर की ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त में कोर सेक्टर ग्रोथ 4.2 फीसदी रही है। ये आठ महीनों का निचला स्तर है। महीने दर महीने आधार पर कोर इंडस्ट्री ग्रोथ 7.3 फीसदी से घटकर 4.2 फीसदी हो गई है।

महीने दर महीने आधार पर अगस्त में कोयला उत्पादन की ग्रोथ 9.8 फीसदी के मुकाबले 2.4 फीसदी रही है। इसी तरह अगस्त में कच्चे तेल के उत्पादन की ग्रोथ 5.4 फीसदी से घटकर 1.1 फीसदी रही है।

महीने दर महीने आधार पर अगस्त में नैचुरल गैस उत्पादन की ग्रोथ 5.2 फीसदी से घटकर 1.1 फीसदी रही है। महीने दर महीने आधार पर अगस्त में रिफाइनरी प्रोडक्ट्स उत्पादन की ग्रोथ 12.3 फीसदी के मुकाबले 5.1 फीसदी रही है।

महीने दर महीने आधार पर अगस्त में फर्टिलाइजर्स उत्पादन की ग्रोथ 1.3 फीसदी से बढ़कर 5.3 फीसदी रही है। महीने दर महीने आधार पर अगस्त में स्टील उत्पादन की ग्रोथ 6.9 फीसदी के मुकाबले 3.9 फीसदी रही है।

अगस्त में महीने दर महीने आधार पर अगस्त में बिजली उत्पादन की ग्रोथ 6.7 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी रही है। हालांकि, महीने दर महीने आधार पर सीमेंट उत्पादन की ग्रोथ 11.1 फीसदी से बढ़कर 14.3 फीसदी रही है।

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