
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जितनी बातें करते हैं, उनकी सरकार उस हिसाब से काम नहीं कर पा रही। देश की आर्थिक हालात आईसीयू में जाने को तैयार है, यानि भारत की अर्थव्यवस्था बदतर होती जा रही है। मोदी सरकार-1 में रहे मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि, ”भारत कोई सामान्य आर्थिक संकट की चपेट में नहीं है बल्कि बहुत ही गंभीर संकट में आ गया है।”
अरविंद सुब्रमण्यम लगातार मोदी सरकार में गिरती अर्थव्यवस्था पर बोल रहे हैं। उन्होंने इससे पहले भारत के जीडीपी डेटा को भी कटघरे में खड़ा करते हुए बताया था कि 2011 से 2016 के बीच भारत की जीडीपी डेटा 2.5 फ़ीसदी बढ़ाकर बताया गया था।
NRC में खर्च होंगे 70 हजार करोड़, अपनी सनक पूरी करने के लिए अर्थव्यवस्था बर्बाद कर रहे हैं मोदी-शाह
समाचार चैनल एनडीटीवी को दिए इन्टरव्यू में अरविंद ने कहा कि भारत का आर्थिक संकट अब गहरा हो चुका है। गैर पेट्रोलियम उत्पाद की आयत और निर्यात डर में क्रमशः 6 फ़ीसदी और एक फ़ीसदी की गिरावट है। कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री की वृद्धि दर 10 फ़ीसदी की गिरावट है। कंज्यूमर गुड्स प्रोडक्शन की वृद्धि दर दो साल पहले पांच फ़ीसदी पर थी दो एक फ़ीसदी पर है। इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था किस हालत में है।”
उन्होंने ये भी कहा कि, निर्यात और कर राजस्व का आंकड़ा भी काफी निराशाजनक है। अगर 2000 से 2002 के भारत के आर्थिक संकट को देखें तो पता चलता है कि तब जीडीपी वृद्धि डर 4.5 फ़ीसदी थी लेकिन बाकी आंकडें सकारात्मक थे जबकि अभी ये सारे आंकडें या तो नकारात्मक हैं या नकारात्मक के करीब हैं। यह कोई सामान्य आर्थिक संकट नहीं है बल्कि यह भारत का गंभीर आर्थिक संकट है।
दुश्मन देश हमारी अर्थव्यवस्था को खत्म करना चाहते थे लेकिन मोदी ने कर दिखाया, ये देशभक्त हैं?
अरविंद ने कहा, ”अर्थव्यवस्था के जो मुख्य आँकड़े हैं वो या तो नकारात्मक हैं या उसके क़रीब हैं। ग्रोथ, निवेश, निर्यात और आयात में वृद्धि से नौकरियां पैदा होती हैं लेकिन सब कुछ नीचे जा रहा है। आपको यह भी देखना होगा कि सरकार सोशल प्रोग्राम पर कितना राजस्व खर्च कर रही है। नौकरी और लोगों की आय में लगातार गिरावट आ रही है।”
अरविंद ने कहा, “अर्थव्यवस्था के जो मुख्य आंकडें हैं वो या तो नकारात्मक हैं या उसके करीब हैं। ग्रोथ निवेश, निर्यात और आयात में वृद्धि से नौकरियां पैदा होती हैं। लेकिन सब कुछ नीचे जा रहा है। आपकोक यह भी देखना होगा कि सरकार सोशल प्रोग्राम पर कितना राजस्व खर्च कर रही है। नौकरी और लोगों की आया में लगातार गिरावट आ रही है।” बता दें कि, अरविंद सुब्रमण्यम मोदी सरकार में तीन साल तक भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे हैं