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मोदी सरकार देशभर में NRC करवाने की बात कर रही है। जब गृह मंत्री अमित शाह संसद के अंदर खुलकर ऐलान कर रहे हैं तो यह तय माना जा रहा है कि नागरिकता संशोधन एक्ट के बाद इस सरकार का अगला कदम अब एनआरसी करवाने का होगा।
एनआरसी करवाने की सरकार की जिद को सनक बताते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने लिखा- असम में 3 करोड़ लोगों के बीच NRC कराने में 16 सौ करोड़ लगे तो 130 करोड़ लोगों की NRC में 70 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होंगे, अगर भाजपा के मुताबिक़ 3 करोड़ घुसपैठिया मिले, उनको “डिटेन्शन सेंटर” में रखा गया तो सालाना लगभग 3.65 लाख करोड़ खर्च होगा, निर्माण खर्च अलग, ये सनक नही तो और क्या?
असम में 3 करोड़ लोगों के बीच NRC कराने में 16 सौ करोड़ लगे 130 करोड़ लोगों की NRC में 70 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होंगे,अगर भाजपा के मुताबिक़ ३ करोड़ घुसपैठिया मिले,उनको “डिटेन्शन सेंटर” में रखा गया तो सालाना लगभग 3.65 लाख करोड़ खर्च होगा, निर्माण खर्च अलग,ये सनक नही तो और क्या? pic.twitter.com/peTWmJJ1UT
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) December 21, 2019
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा और राज्यसभा में सफलतापूर्वक पास करा लिया है और राष्ट्रपति की मुहर के बाद अब ये एक एक्ट का रूप ले चुका है।
संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद भी यह कानून जनता को रास नहीं आ रहा है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग गिरफ्तारियां दे रहे हैं । जब नागरिकता संशोधन एक्ट के बाद उठे सवालों का संतोषजनक जवाब देकर यह सरकार लोगों को शांत नहीं करवा पा रही है तो एनआरसी का दावा करना बेहद हास्यास्पद लग रहा है।
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गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन एक्ट को सांप्रदायिक बताया जा रहा है और कॉलेज विश्वविद्यालयों की छात्र-छात्राओं से लेकर आम नागरिकों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि एनआरसी जैसी जटिल प्रक्रिया करवाने के लिए सरकार क्यों आतुर है। अगर नागरिकता संशोधन एक्ट के जरिए मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है तो फिर एनआरसी के जरिए सभी वर्गों के गरीबों को परेशान किया जाएगा क्योंकि कागजात का संकट सबसे ज्यादा गरीब वर्ग के साथ होता है।