देश में रोज़गार पैदा करने वाले सभी क्षेत्र लगातार कमज़ोर होते जा रहे हैं। भारत में उत्पादन और सेवा क्षेत्र ही सबसे ज़्यादा रोजगार पैदा करते हैं लेकिन दोनों की वृद्धि दर ख़राब चल रही है। कोर सेक्टर की वृद्धि दर के 8 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुँचने के बाद अब सेवा क्षेत्र का भी यही हाल हो गया है।

निक्की इंडिया का सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक अगस्त के 51.5 से गिरकर सितंबर में 50.9 पर आ गया। ये एक चार्ट है जो ये दिखाता है कि सेवा क्षेत्र में कितनी वृद्धि हुई या गिरावट आई।

यह सेवा क्षेत्र में लगातार चौथे महीने हुई वृद्धि है। लेकिन इन चार महीनों में सितम्बर की वृद्धि दर सबसे कम रही है। सूचकांक का 50 से ऊपर होना वृद्धि का तथा 50 से नीचे का सूचकांक गिरावट को दर्शाता है।

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रिपोर्ट में कहा गया, सितंबर महीने में सेवा क्षेत्र में वृद्धि जारी रही है लेकिन बाजार की नरम मांग की खबरों के बीच वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है। डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने और इस से आयातित सामानों के महंगे हो जाने के कारण सितंबर महीने में देश का सेवा क्षेत्र धीमी दर से बढ़ा है।

आईएचएस मार्किट के निदेशक (अर्थशास्त्र) तथा रिपोर्ट के लेखक पॉल स्मिथ ने कहा कि सेवा क्षेत्र में मांग नरम पड़ने की खबरों के बीच भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि की रफ्तार कुंद हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘सितंबर में विनिर्माण उत्पादन वृद्धि में तेजी के बाद भी निजी क्षेत्र की गतिविधियां मई के बाद सबसे धीमी दर से बढ़ी हैं।’’

विस्तृत क्षेत्रों के आंकड़ों से पता चलता है कि गतिविधियों की वृद्धि की दर कम हुई है और सूचना एवं संचार क्षेत्र में नये कार्य तेज बने हुए हैं। वित्त एवं बीमा क्षेत्र में गिरावट देखी गई है।

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