पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में अगर कहीं सबसे बड़ा बदलाव हुआ है तो वो राज्य है तमिलनाडु। जहां पर एडीएमके की अगुवाई वाले एनडीए की हार हुई है और डीएमके की अगुवाई वाले यूपीए की जीत हुई है।

जहां सत्ताधारी ADMK+ को 85 सीटें मिलती दिखाई दे रही है तो DMK+ को 149 सीटें।

भले ही अन्नाद्रमुक पिछले 10 साल से सत्ता में रही हो मगर 4 साल पहले जयललिता के निधन के बाद पार्टी लगातार कमजोर होती गई।

दूसरी तरफ सत्ता से दूरी के बावजूद द्रमुक ने जमीनी पकड़ मजबूत की और 2019 के लोकसभा चुनाव में और अब 2021 के विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखा दिया कि इस राज्य में पेरियार के विरासत वाली द्रविड़ियन पॉलिटिक्स ही चलेगी।

गौरतलब है कि वर्तमान में द्रमुक का नेतृत्व कर रहे स्टालिन पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के बेटे हैं और एक ऐसी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं जिसने सामाजिक न्याय के कई मूल्य स्थापित किए हैं।

ब्राह्मणवाद विरोधी स्टैंड लेने की वजह से अक्सर जातिवादी मीडिया में DMK और उसके नेताओं का नेगेटिव प्रोजेक्शन किया जाता है।

मगर इसका असर तमिलनाडु की स्थानीय आबादी पर नहीं पड़ता है, तभी तो एक पार्टी के रूप में डीएमके को सवा सौ से ज्यादा सीटें अकेले मिल रही हैं।

यानी यूपीए गठबंधन को बहुमत तो मिल ही रहा है मगर अकेले डीएमके भी बहुमत का आंकड़ा पार करती दिखाई दे रही है।

विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद लोगों को संबोधित करते हुए एम के स्टालिन ने न सिर्फ कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करने और जश्न न मनाने की सलाह दी बल्कि इस जीत की भी व्याख्या की। उन्होंने कहा -ये हमारे 50 साल के काम का इनाम है।

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