अनेक सगठनों ने 5 मार्च को विभिन्न मुद्दों के समर्थन में भारत बंद का ऐलान किया है. राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस यूथ विंग , CPI (माले) RLSP, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, गुजरात विधायक जिग्नेश मेवानी, विधायक छोटुभाई वसावा, संसद उदित राज, बहुजन मुक्ति पार्टी, भीम आर्मी, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, आदि ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया है.

आदिवासियों को वनक्षेत्र से निकाले जाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश, 10 % असंवैधानिक सवर्ण आरक्षण और 13 पॉइंट रोस्टर के विरोध मे भारत को बंद किया जाएगा. साथ ही निजी क्षेत्र में आरक्षण, उच्च न्यायपालिका में आरक्षण, पिछड़े वर्ग को आबादी के अनुरूप 52 % आरक्षण, 2021 में राष्ट्रीय जनगणना मे जाति जनगणना शामिल किया जाना, 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के ईवीएम के वोट गणना में विवाद की स्थिति मे वीवीपैट पेपर ट्रेल को गिने जाने के आदेश का पालन आगामी चुनावों मे शामिल किया जाना जैसी मांगों के चलते भारत बंद की घोषणा की गई है.

13 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने वाइल्ड लाइफ फर्स्ट एवं अन्य विरुद्ध वन एवं पर्यावरण मत्रालय, भारत सरकार मामले में 21 राज्यों की सरकारों को आदेश दिया था की अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के अंतर्गत वनभूमि पर आदिवासियों और पारम्परिक वन निवासी समुदाय के जिन परिवारों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं उन्हें 12 जुलाई 2019 तक राज्य सरकारें वनभूमि से बेदखल करे.

यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उलंघन है. साथ ही यह बेदखली आदिवासियों के जीवन जीने के मानवीय अधिकारों का हनन है. बता दें कि कुल 20 प्रदेशों के 29 , 61 , 553 में से 15 , 00 , 949 परिवारों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं.

जहां तक रोस्टर का मुद्दा रहा है सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा में अध्यापकों की नियुक्ति के लिए चले आ रहे 200 पॉइंट रोस्टर को हटाकर 13 पॉइंट रोस्टर लागू करने का फैसला सुनाया. ऐसा माना जा रहा है की इस विभागवार रोस्टर को लाय जाने से एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण ख़त्म हो जाएगा.

साफ़ है की सरकार दबे, पिछड़े, और वंचितों का हक़ मारना चाह रही है. जिस सरकार ने सवर्णो के लिए 10 % आरक्षण को सामने रखा उसी सरकार ने 4 मई 1992 में कल्याण मंत्री सीताराम केसरी द्वारा लोक सभा मे प्रस्तावित नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटीज बिल को समर्थन देने से मना कर दिया था.

भारत बंद सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक प्रभावी रहेगा. स्कूल व परीक्षा देने जा रहे छात्रों को नहीं रोका जाएगा. साथ ही अपने अपने क्षेत्र मे समर्थकों से जुलूस निकालकर इन मांगों के समर्थन में प्रदर्शन करने की अपील की गई है.

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