केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में आज दिल्ली की सीमाओं पर बीते 8 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान जंतर-मंतर पहुंचे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में यहां पर ‘किसान संसद’ की शुरुआत हो गई है।

दरअसल बीते साल से लेकर अब तक किसान आंदोलन के दौरान जितने भी प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए स्थूल किसान संसद की शुरुआत की गई है।

इस संदर्भ में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पहले ही जानकारी देते हुए ऐलान किया था कि मॉनसून सत्र के दौरान मोदी सरकार का संसद के बाहर घेराव किया जाएगा।

आज जंतर मंतर पर एकजुट हुए किसानों की अगुवाई करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर किसी भी राजनीतिक दल के सांसद किसानों के अधिकारों के लिए संसद में आवाज नहीं उठाते। तो उनके क्षेत्र में जाकर उनका कड़ा विरोध किया जाएगा।

इस संदर्भ में हन्नान मोल्लाह को किसान संसद का अध्यक्ष और मनजीत सिंह राय को डिप्टी स्पीकर बनाया गया है।

जंतर मंतर पर लगाई गई ‘किसान संसद’ में प्रदर्शनकारियों द्वारा तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की जा रही है।

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि 8 महीने बाद सरकार ने हमें किसान माना है। अगर देश का किसान खेती करना जानता है। तो संसद चलाना भी जानता है। संसद में हमारी आवाज को दबाया जा रहा है। अब हम अपनी संसद चलाएंगे।

आपको बता दें कि जंतर मंतर पर किसान संसद चलाने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 200 किसानों को 9 अगस्त तक प्रदर्शन करने की अनुमति दी है।

संसद भवन जंतर मंतर से सिर्फ कुछ ही मीटर की दूरी पर है। जहां पर इस वक़्त मानसून सत्र चलाया जा रहा है।

विपक्षी दलों द्वारा मानसून सत्र के दौरान किसानों का मुद्दा उठाया गया है। लेकिन इस पर बहस करने के लिए सरकार आनाकानी कर कर रही है।

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