‘सर ये गेम है. आप गेम खराब मत करो’
डीआईजी अतुल गोयल ने जब चेकप्वाइंट पर देविंदर सिंह को उनके दो साथियों के साथ रोका और अपने साथियों से उन्हें गिरफ्तार करने को कहा तो देविंदर सिंह ने कहा, ‘सर ये गेम है. आप गेम ख़राब मत करो.’
इस बात पर डीआईजी गोयल ग़ुस्सा हो गए और उन्होंने डीएसपी देविंदर सिंह को एक थप्पड़ मारा और उन्हें पुलिस वैन में बिठाने का आदेश दिया.
देविंदर सिंह चरमपंथ की लड़ाई में हमेशा लीड करने वाले अधिकारी रहे हैं. पुलवामा हमले के समय वे पुलिस मुख्यालय में तैनात थे. आरोप लग रहे हैं कि वे पुलवामा हमले में शामिल हैं, हालांकि पुलिस का कहना है कि अभी इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं.
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लेकिन पुलिस का कहना है कि ‘हमें इस बात की पक्का जानकारी थी कि वे चरमपंथियों को कश्मीर से लाने-ले जाने में मदद कर रहे थे.’
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि देविंदर सिंह को पैसों का बहुत लालच था और इसी लालच ने उन्हें ड्रग तस्करी, जबरन उगाही, कार चोरी और यहां तक कि चरमपंथियों तक की मदद करने के लिए मजबूर कर दिया.
देविंदर सिंह के कई साथी पुलिसकर्मियों ने बताया कि सिंह की ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों के ख़िलाफ़ कई बार जांच बैठी लेकिन हर बार उनके वरिष्ठ अधिकारी उनको क्लीन चिट दे देते थे. 90 के दशक में देविंदर सिंह ने एक आदमी को भारी मात्रा में अफ़ीम के साथ गिरफ़्तार किया लेकिन पैसे लेकर अभियुक्त को छोड़ दिया और अफ़ीम को बेच दिया. उनके ख़िलाफ़ जांच बैठी लेकिन फिर मामला रफ़ा दफ़ा हो गया.
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इस रिकॉर्ड के बावजूद देविंदर सिंह को प्रदेश के सबसे बड़े बहादुरी सम्मान शेर-ए-कश्मीर पुलिस मेडल से नवाजा गया.
जब संसद हमले का ट्रायल चल रहा था, अफजल गुरु के बार बार नाम लेने पर भी देविंदर सिंह की संलिप्तता की जांच क्यों नहीं की गई?
पुलवामा में इतना बड़ा हमला हुआ, उसकी किसी तरह की जांच क्यों नहीं हुई?
देविंदर सिंह आतंकवादियों के साथ जो खेल, खेल रहे थे, उस खेल का असली खिलाड़ी कौन है?
( ये लेख कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )